Monday 16th of June 2025 01:11:44 AM
HomeAhmedabad plane crashक्यों हुआ एयर इंडिया ड्रीमलाइनर का हादसा? वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर...

क्यों हुआ एयर इंडिया ड्रीमलाइनर का हादसा? वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर और एयरोनॉटिकल इंजीनियर ने बताई बड़ी वजहें

अंबाला/चंडीगढ़:
12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गई। यह Boeing 787-8 Dreamliner विमान था, जो अब तक कभी क्रैश नहीं हुआ था। ऐसे में सवाल उठता है — इतनी आधुनिक और सुरक्षित मानी जाने वाली उड़ान अचानक हादसे का शिकार कैसे हो गई?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए ETV भारत ने भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर एसडी विज और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ के एयरोनॉटिकल विशेषज्ञ प्रो. तजिंदर कुमार जिंदल से बात की।


✈️ हादसा सिर्फ कुछ सेकंड में हुआ

12 जून की दोपहर एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 ने अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी, लेकिन चंद सेकंड बाद ही वह फिसलते हुए बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर पर जा गिरी। हादसे में 242 में से 241 यात्रियों और 29 ज़मीन पर मौजूद लोगों की मौत हो गई।


📻 पायलट को पहले मिलती है खराबी की सूचना

प्रो. जिंदल ने बताया कि किसी भी तकनीकी समस्या की सूचना सबसे पहले पायलट को मिलती है। अगर इंजन या अन्य सिस्टम में कोई गड़बड़ी आती है, तो पायलट तुरंत एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से संपर्क करता है और “Mayday” कॉल देता है।


🚨 दोनों इंजन फेल हो सकते हैं

इस हादसे में पायलट ने Mayday कॉल दिया था, जिससे संकेत मिलता है कि उड़ान के दौरान थ्रस्ट लॉस (Thrust Loss) यानी इंजन की शक्ति खत्म हो गई थी। प्रो. जिंदल के अनुसार Dreamliner में दो इंजन होते हैं और अगर एक भी काम करता रहे, तो विमान सुरक्षित लैंडिंग की कोशिश कर सकता है। लेकिन इस केस में शायद दोनों इंजन फेल हो गए


🛑 पायलट के नियंत्रण में नहीं था विमान

“जो वीडियो वायरल हुआ है, उसमें पायलट की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखती,” प्रो. जिंदल कहते हैं। “ऐसा संभव है कि विमान उस वक्त पायलट के नियंत्रण से बाहर हो गया हो, और वह कुछ कर ही न पाए।”


📦 ब्लैक बॉक्स: सच्चाई की चाबी

विमान का ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है:

  1. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): पायलट और को-पायलट की बातचीत, केबिन की आवाज़ें और ATC से संपर्क रिकॉर्ड करता है।

  2. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): इंजन, ऊंचाई, गति, तापमान जैसे तमाम तकनीकी डेटा को रिकॉर्ड करता है।

ब्लैक बॉक्स की मदद से जांच एजेंसियां यह पता लगाती हैं कि हादसे की वजह मानवीय गलती थी, तकनीकी गड़बड़ी, मौसम, या कोई बाहरी कारण (जैसे बर्ड हिट)।


जांच में कितना समय लगता है?

ब्लैक बॉक्स डेटा की प्रारंभिक रिपोर्ट आने में 25–30 दिन लगते हैं। लेकिन पूरी जांच, विश्लेषण और सिमुलेशन के साथ 1 से 2 साल भी लग सकते हैं।


🧪 Boeing Dreamliner की तकनीकी इतिहास

  • Boeing 737 Max मॉडल में ऑटो-पायलट सिस्टम की गड़बड़ी के कारण पहले भी हादसे हुए थे।

  • Boeing 787 Dreamliner की शुरुआत में बैटरी से जुड़ी समस्या आई थी, जिसे बाद में ठीक कर दिया गया। इसके बाद से कोई गंभीर तकनीकी कमी सामने नहीं आई है।

हालांकि, जांच एजेंसियां अभी भी यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या इस बार किसी पुराने या नए तकनीकी दोष ने फिर से सिर उठाया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments