रांची। झारखंड में हेमन्त सोरेन की सरकार गिराने की कथित साजिश कहीं आगे चलकर कांग्रेस और झामुमो के बीच विवाद न बन जाए । ये अंदाजा बहुत से राजनीति विश्लेषक लगा रहे हैं और इसके ठोस कारण भी हैं।
कांग्रेस विधायकों को बदनाम करने का मामला
जिस तरह इस पूरे मामले में कांग्रेस विधायकों के नाम उछाले जा रहे हैं, उससे झारखंड कांग्रेस के अधिकतर विधायक बेहद नाराज़ हैं। वे इसे कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल है कि कांग्रेस विधायकों को बदनाम कौन कर रहा है? क्या इस कथित खरीद-फरोख्त में इरफान अंसारी और उमाशंकर अकेला का नाम भाजपा ने लिया है ?नहीं, कांग्रेस के इन दोनों विधायकों का नाम मीडिया में लीक पुलिस ने किया है, आखिर किसके इशारे पर?
आलमगीर आलम बनाम सुप्रियो भट्टाचार्य
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि सरकार गिराने की साजिश हुई, कांग्रेस के आलमगीर आलम कहते हैं कि ऐसी कोई बात नहीं है । ये कांग्रेस विधायकों को बदनाम करने की साजिश है।
सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि झामुमो के विधायकों को नहीं खरीदा जा सकता, हमारी ट्रेनिंग ही कुछ ऐसी है । इसके साथ ही वो कहते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व को अपने विधायकों से बात करनी चाहिए। इसका मतलब क्या हुआ?
शराब ठेके से जुड़ा विवाद या सरकार गिराने की साजिश
कांग्रेस के जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी कहते हैं कि ये सरकार गिराने का मसला नहीं है, बल्कि शराब सिंडिकेट और उससे मिलने वाले कमीशन से जुड़ा विवाद है । रामगढ़ से कांग्रेस विधायक ममता देवी ने भी कुछ ऐसा ही कहा है । अब इन दोनों विधायकों की बात हवा में तो नहीं उड़ा दी जा सकती है ।
मंत्रिमंडल विस्तार पर झामुमो का तंज
सुप्रियो भट्टाचार्य से जब पूछा गया कि क्या ये 12 वें मंत्री के लिए खींचतान है ? तब उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में किसे रखना है, किसे नहीं, ये मुख्यमंत्री का अधिकार है। लेकिन ठीक उसी वक्त सुप्रियो भट्टाचार्य ने ये भी कहा कि “कुछ प्लेयर इंजर्ड होकर बाहर भी जा सकते हैं, कुछ नये भी आ सकते हैं” । सुप्रियो भट्टाचार्य का ये बयान क्या कहना चाहता है क्या सचमुच कुछ मंत्रियों को बदलकर नये चेहरे को शामिल किया जा सकता है?