हजारीबाग। गैर भाजपा शासित राज्यों में दलित, शोषित, वंचित, आदिवासियों, महिलाएं, बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं बढ़ रही है। झारखंड का नाम सबसे ऊपर है। आज हजारीबाग की पीड़िता पिछले 10 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही है लेकिन जिला प्रशासन और राज्य सरकार के आंखों में आंसू तक नहीं है। ये बातें भाजपा अनुसूचित जाति के प्रदेश अध्यक्ष अमर बाउरी ने हजारीबाग परिसदन में कही । वे हजारीबाग दुष्कर्म पीड़िता के परिवार से मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे ।
अमर बाउरी ने कहा कि
मैं पूछना चाहता हूं, वैसी पार्टियों से जो दिल्ली की निर्भया को करोड़ों रुपया मुआवजा देने के लिए तैयार थी, लेकिन अपनी बेटी को 2500000 का मुआवजा देने में उन्हें शर्म आ रही है।
हजारीबाग परिसदन में दुष्कर्म की पीड़िता से सदर अस्पताल में मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से मुखातिब होते हुए अमर कुमार बाउरी ने कहा कि मैंने पीड़िता के दर्द को देखा है और मैं गर्व करता हूं उस बेटी पर जो इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी संघर्ष कर रही है।
उन्होंने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से मांग किया कि पीड़ितों को अविलंब बेहतर इलाज के लिए किसी बड़े अस्पताल में शिफ्ट किया जाए। घटना के 10 दिन होने के बाद भी अगर जिला प्रशासन और राज्य सरकार का यह रवैया रहता है और यदि पीड़ित को किसी प्रकार का नुकसान होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी जिला प्रशासन और राज्य सरकार की होगी।
उन्होंने कहा कि 10 दिन के बाद जब भारतीय जनता पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित से मुलाकात करने आता है उसके बाद पीड़िता के लिए एक मेडिकल टीम की घोषणा की जाती है। जो यह दर्शाता है कि जिला प्रशासन अपने काम के प्रति कितना और संवेदनशील है।
उन्होंने बताया कि पीड़िता का परिवार डर के साये में जी रहा है लेकिन जिला प्रशासन उस पीड़ित के परिवार को संरक्षण देने में असमर्थ साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि जिन सात में से तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार करने की बात कही है वह तीनों आरोपियों ने आत्मसमर्पण किया है।
संवाददाता सम्मेलन में विधायक सिमरिया किशुन दास, विधायक कांके समरी लाल, पूर्व विधायक एवं पूर्व सांसद ब्रज मोहन राम सहित अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित थे।