हैदराबाद:
फरहान अख्तर की फिल्म ‘120 बहादुर’ का टीज़र आते ही सोशल मीडिया पर भावनाओं की लहर दौड़ गई है। फिल्म भारत के परम वीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह भाटी की वीरगाथा को जीवंत करती है — एक ऐसा योद्धा, जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध में अमर बलिदान दिया।
एक सच्चे सैनिक की शुरुआत
1 दिसंबर 1924 को जोधपुर, राजस्थान में जन्मे शैतान सिंह एक सैन्य परिवार से थे। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल हेम सिंह भाटी भी भारतीय सेना में थे। 1949 में उन्हें कुमाऊं रेजिमेंट में कमीशन मिला, जो भारतीय सेना की सबसे साहसी रेजिमेंट्स में से एक मानी जाती है।
रेजांग ला: जहां बहादुरी अमर हुई
18 नवंबर 1962 को लद्दाख के चुषूल सेक्टर में रेजांग ला की लड़ाई में, मेजर सिंह की ‘C कंपनी, 13 कुमाऊं’ को एक रणनीतिक दर्रे की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई। बेहद ठंड और 16,000 फीट की ऊंचाई पर, केवल 120 भारतीय सैनिकों ने हजारों चीनी सैनिकों से मोर्चा लिया।
मेजर सिंह ने पोस्ट से पोस्ट जाते हुए, गोलियों की बौछार के बीच, अपने जवानों का हौसला बढ़ाया और रणनीति को अंजाम तक पहुंचाया। जब मुख्यालय से संपर्क टूट गया और मदद नहीं पहुंची, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी।
आखिरी सांस तक डटे रहे
लड़ाई में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, मेजर सिंह ने मैदान नहीं छोड़ा। जब दो सैनिक उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने लगे, तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि उन्हें छोड़कर बाकी सैनिकों को बचाया जाए। उनका शव युद्ध के बाद बर्फ में जमी हालत में, हथियार पकड़े हुए मिला, जो उनकी वीरता की गवाही देता है।
114 भारतीय जवान शहीद हुए, लेकिन 1,300 से अधिक चीनी सैनिकों को नुकसान पहुंचाया गया — यह मेजर सिंह और उनके सैनिकों की अडिग रक्षा का प्रमाण था।
परम वीर चक्र और अमर विरासत
मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनके नाम पर देश भर में कई विद्यालय, स्मारक और सैन्य प्रतिष्ठान बने हैं। वह भारतीय सैन्य इतिहास में एक अमर नायक बन गए हैं।
‘120 बहादुर’: एक वीरगाथा का सिनेमाई सम्मान
फरहान अख्तर की आने वाली फिल्म ‘120 बहादुर’, निर्देशक रजनीश घई द्वारा निर्देशित और 21 नवंबर 2025 को रिलीज़ होने वाली है। यह फिल्म रेजांग ला के शूरवीरों को श्रद्धांजलि है, जिसमें शैतान सिंह का किरदार फरहान निभा रहे हैं। इसे एक्सेल एंटरटेनमेंट और ट्रिगर हैप्पी स्टूडियोज ने प्रोड्यूस किया है।