
के.कौशलेन्द्र
विगत् कुछ दिनों से सूबे झारखंड में सियासत ने जो राह पकड़ रखी है उसे देख बस इतना कहना ही काफी होगा कि-
ये जो हालात हैं, ये सब तो सुधर जायेंगे, पर कई बड़े लोग निगाहों से उतर जायेंगे ….
क्योंकि प्यार और गर्मी जब हद से ज्यादा बढ़ जाता है ना..तो सबसे पहले कपड़े ही उतरते हैं.
सत्ता से बेदखल हो सड़क की गर्मी से अकुलायी झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता और झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जी की प्रेस वार्ता में मैंने उनसे पूछा- माननीय, प्रदेश में पाॅलिटीकल अनजिपींग की जो सियासत चल रही है क्या उसका दुष्प्रभाव राजनीतिक सुचिता पर नहीं पड़ रहा?
बाबूलाल मरांडी ने कहा- राजनीतिक सुचिता पर ही नहीं पूरे सूबे पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है.
मेरा प्रति प्रश्न था- शुरुआत तो आपने की?
चेहरे पर तिलमिलाहट थी, बावजूद इसके मरांडी जी ने संयत उत्तर दिया- सुनिल तिवारी पर लगे यौन शोषण मामले और मुख्यमंत्री पर लगे आरोप , दोनों की जांच केन्द्रीय जांच एजेंसी अथवा किसी न्यायधीश की पीठ से करा ली जाये.
इस बीच सत्तासीन झामुमो के प्रवक्ता और सत्ता की गर्मी से लबरेज सुप्रियो भट्टाचार्य ने अपने सलाहकार के बचाव में आये पूर्व मुख्यमंत्री को भी पाॅलिटीकल अनजिपींग के लपेटे में ले लिया और उनके अतीत के पन्नों को पलट डाला.
समस्त प्रकरण में कौन दोषी है और कौन निर्दोष ये तो फिलहाल अतीत के गर्भ में ही रहेगा. हां छिछालेदर की सियासत में सुर्खियां बनती रहेंगी और ये पंक्तियाँ चरितार्थ होती रहेंगी कि-
छींटाकशी करते करते
इंशा खुद को खो देता है,
और इसी कालखंड में
खुद विशाक्त वृक्ष बो देता है.
सूबे की वर्तमान सियासत पर गौर करता हूँ तो मुझे बाबूलाल मरांडी एक बार फिर राजनीतिक अखाड़े के हासिये पर जाते दिख रहे हैं. वजह स्पष्ट है. आप भी गौर करें. प्रदीप यादव और रिंकू झा प्रकरण. उस वक्त झाविमो में बाबूलाल मरांडी के अनन्य रहे प्रदीप यादव के दामन पर पड़े छींटे बाबूलाल मरांडी के लिये परेशानी का कारण बना ही था. बाबूलाल मरांडी और प्रदीप यादव की राहें जुदा हुईं तो हालिया सलाहकार सुनिल तिवारी प्रकरण.
भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व तक झारखंड में जारी सियासी छींटाकशी की खबरें बिलकुल पहुँच रही होंगी. क्या ऐसी सियासी आंच पर भाजपा नेतृत्व बाबूलाल मरांडी की हांडी चढ़ा सत्ता पुनर्वापसी का जोखिम उठायेगा?
झारखंड भाजपा के अध्यक्ष व सांसद दीपक प्रकाश तमाम छींटाकशी विवादों से परे कार्यकर्ताओं में उर्जा संचार के एकल अभियान में जुटे दिखाई दे रहे हैं. केन्द्र सरकार में विगत् दिनों राज्य मंत्री बनाईं गयीं अन्नपूर्णा देवी के स्वागत में आयोजित जन आशीर्वाद यात्रा और प्रखण्डवार मानव ऋंखला आदि कार्यक्रमों के सफल आयोजन के माध्यम से झारखंड भाजपा अध्यक्ष अपनी कार्यकर्ता उन्मुख रणनीति को स्थापित करते ही दिखे.
मीडिया का क्या है-
सभी एक जैसा ही लिखते हैं, बस मतलब बदल जाते हैं,
सरकारें वैसे ही चलती हैं, बस वजीर-ए-आजम बदल जाते हैं.
(लेखक वरीष्ठ स्तंभकार हैं । यहां लिखे गये तमान विचार उनके निजी हैं)