WestBengalElections2021 बंगाल में चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही भाजपा और टीएमसी के बीच जंग तेज हो गई है । ममता बनर्जी की TMC के लिए रणनीति बना रहे प्रशांत किशोर ने कहा है -“02 मई के लिए मेरे दो आखिरी ट्वीट संभाल कर रख लें”
ममता ने चला “बंगाली अस्मिता” कार्ड
ममता बनर्जी ने WestBengalElections2021 में बंगाली भाषा और बंगाली पहचान को बड़ा मुद्दा बनाया है । वे अपनी हर सभाओं में कह रही हैं कि “बंगाल में बंगाली राज करेगा, गुजरात का गुंडा राज नहीं करेगा” । इसके साथ ही ममता बनर्जी मुस्लिम मतदाताओं को यह भी संदेश दे रही हैं कि अगर भाजपा बंगाल की सत्ता मेें आ गई तो “दंगा-फसाद” करवाएगी । इतना ही नहीं, भाजपा के खिलाफ “Muslim fear” को भुुुनाने केे लिए ममता के मंत्री फिरहाद हाकिम ने मस्जिद से एलान भी किया ।
मस्जिद से भाजपा को वोट न देने की अपील
टीएमसी नेता फिरहाद हाकिम ने मस्जिद में राजनीतिक नारे लगाए। राज्य में मुस्लिम वोट बैंक पर अपना कब्जा कायम रखने के लिए फिरहाद हकीम ने 19 साल पहले हुए गुजरात दंगों का मुद्दा उठाया। प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बारे में भड़काऊ बयान देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि 2002 में गुजरात में हुए दंगों को पश्चिम बंगाल में दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने मस्जिद में एकत्रित मुसलमानों से भाजपा को वोट न देने की अपील की।
लोकलुभावन योजनाओं की झड़ी
भाजपा ‘जयश्री राम’ के नारे और मोदी के विकास के सहारे बंगाल फतह की उम्मीद लगाए बैठी है । मोदी के विकास और योजनाओं की हवा निकालने के लिए ममता ने कई कदम उठाए। उन्होंने सरकारी स्कूलों के 12वीं में पढ़ने वाले साढ़े नौ लाख बच्चों के बैंक खातों में दस-दस हजार रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया। गरीबों को पांच रुपये प्लेट में खाना मुहैया कराया जा रहा है। इलेक्ट्रिफिकेशन 90 फीसदी तक कर लिया है ।
भाजपा को बदलनी पड़ी अपनी रणनीति
ममता बनर्जी के “बंगाली बनाम बाहरी” की काट के लिए भााजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है । वे मोदी की जनसभा के साथ-साथ स्थानीय चेहरों को ज्यादा तरजीह देने कोो मजबूर हुए हैैं । बंगाली फिल्म एवं टेलीविजन इंडस्ट्री के चेहरे भाजपा को बंगाली पार्टी बता रहे हैं । पुरानी किताबों से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ढूूंढ कर निकाला गया है, सिर्फ ये बताने के लिए कि “जहां जन्म हुुए मुखर्जी, वो बंगाल हमारा है“। पीएम मोदी को छोड़कर भाजपा के दूसरे राष्ट्रीय नेताओं के सभाओं की संख्या कम कर दी गई है, हालांकि वे जमीन पर लोगोों को mobilize करते रहेेंगे ।