यरुशलम: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को गाज़ा में युद्ध के और अधिक विस्तार का संकेत दिया, वहीं देश के पूर्व सैन्य और खुफिया प्रमुखों ने लगभग 22 महीने से जारी युद्ध को समाप्त करने की मांग की है।
इस बीच, गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी कि युद्ध में अब तक 61,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, खाने की तलाश में निकले भूखे लोगों पर गोलीबारी में और मौतें हुई हैं।
इज़रायली सुरक्षा निकाय COGAT ने गाज़ा में स्थानीय व्यापारियों के साथ मिलकर सहायता वितरण बेहतर करने का समझौता किया है।
पूर्व सुरक्षा प्रमुखों की चेतावनी
शिन बेट, मोसाद और इज़रायली सेना के पूर्व प्रमुखों और पूर्व प्रधानमंत्री एहुद बराक ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर नेतन्याहू की रणनीति पर सवाल उठाए। शिन बेट के पूर्व प्रमुख योराम कोहेन ने कहा, “यह सोचना कि हम हर आतंकवादी और हर हथियार तक पहुंच सकते हैं, और साथ ही बंधकों को भी छुड़ा सकते हैं — यह सिर्फ एक कल्पना है।”
सैन्य कार्रवाई में विस्तार की संभावना
नेतन्याहू ने सुरक्षा कैबिनेट की बैठक बुलाई थी जिसमें युद्ध के अगले चरण को लेकर चर्चा हुई। उन्होंने हिंट दिया कि कार्रवाई और कड़ी हो सकती है, हालांकि बैठक के बाद कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई।
यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या वे गाज़ा के दोबारा कब्जे का समर्थन करते हैं, तो उन्होंने कहा, “ये फैसला इज़राइल का होगा।” नेतन्याहू ने कहा कि उनका लक्ष्य हमास को हराना, सभी 50 बंधकों को छुड़ाना और गाज़ा को दोबारा खतरा न बनने देना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख ले. जनरल एयाल ज़मीर के बीच रणनीति को लेकर मतभेद है। नेतन्याहू पूरे गाज़ा पर नियंत्रण की बात कर रहे हैं, जबकि सेना प्रमुख इसका विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे बंधकों की जान खतरे में पड़ सकती है और अंतरराष्ट्रीय आलोचना और अधिक बढ़ेगी।
मानवीय सहायता लेने वालों की हत्या
गाज़ा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार सुबह सहायता पाने पहुंचे लोगों पर इज़रायली सैनिकों ने गोलियां चलाईं, जिससे कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई। मोराग कॉरिडोर में 26 और तेइना में 6 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
नासर अस्पताल में मृतकों को लाया गया, जिनमें कई महिला और बच्चे भी शामिल हैं। अस्पताल के रिकॉर्ड बताते हैं कि यूएन की सहायता ट्रकों पर भीड़ द्वारा हमला, लूट और इज़रायली फायरिंग अब सामान्य हो चुका है।
सामी अराफात, सात बच्चों के पिता ने बताया, “यहां कोई इमारत नहीं है जो हमें गोलियों से बचा सके। इलाके में केवल मलबा ही मलबा है।”
सहायता वितरण बाधित
COGAT ने कहा है कि स्थानीय व्यापारियों के जरिए धीरे-धीरे वस्तुओं की आपूर्ति शुरू की जाएगी, लेकिन युद्ध और नाकेबंदी के चलते कुपोषण तेजी से फैल रहा है। लोगों को सहायता पाने के लिए ट्रकों पर धावा बोलना पड़ता है, जिससे कई बार हिंसा हो जाती है।
GHF (गाज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन) ने कहा कि उनके केंद्रों पर मंगलवार को कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन यूएन सहायता वितरण के दौरान हत्याएं और लूट की घटनाएं बढ़ी हैं।
‘धैर्य और खून से सनी हुई ज़िंदगी’
खान यूनिस के निवासी मोहम्मद क़स्सास ने कहा कि उनके बच्चे भूख से बिलख रहे हैं, इसलिए वह जबरन ट्रकों पर चढ़ जाते हैं। “अगर हम लड़ते हैं तो खाना मिलता है, नहीं लड़ते तो कुछ नहीं मिलता।”
इकराम नस्र ने बताया कि उनके बेटे को सहायता केंद्र के पास गोली मार दी गई। उन्होंने कहा, “मुझे खुद जाकर अपने बेटे की लाश उठानी पड़ी। मैं उसके टुकड़े सड़क से बटोरकर लाई।” वह बोलीं, “पूरी दुनिया देख रही है — हमारा धैर्य, हमारा दर्द, हमारा विश्वास। लेकिन अब सहने की ताकत नहीं बची है।”