
विधानसभा में नियोजन नीति और स्थानीयता के मुद्दे पर बुधवार को बड़ी दिलचस्प बहस हुई। सबसे पहले हटिया से भाजपा के विधायक नवीन जायसवाल ने प्रश्न किया । उन्होने पूछा कि सरकार ने 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है। लेकिन नियुक्ति का आधार क्या होगा, सरकार इसे स्पष्ट नहीं कर सकी है। जब यही तय नहीं हैं कि इस राज्य में स्थानीय कौन है, तो फिर नियुक्ति किस आधार पर होगी ? नवीन जायसवाल ने सवाल किया कि सबसे पहले तो सरकार ये बता दे कि स्थानीयता का आधार वर्ष क्या होगा ? ये 1932 के खतियान के आधार पर होगा, 1947 में आजादी के बाद होगा या फिर सरकार कुछ और सोच रही है ?
आदिवासी आंदोलन का मुख्य विषय रहा है स्थानीयता- बंधु तिर्की

बंधु तिर्की ने पूछा कि इस राज्य में स्थानीयता को लेकर उग्र आंदोलन हुए। इसमें 6 लोगों की जान भी चली गई। उसमें किस नेता की क्या भूमिका रही इसपर मुझे बताने की जरुरत नहीं है। लेकिन इस राज्य में स्थानीय कौन ? इसका पटाक्षेप जल्द होना चाहिए। सरकार कहती है कि प्रवर समिति की सिफारिशों के आधार पर निजी क्षेत्रों में भी स्थानीय को 75 प्रतिशत पद आरक्षित होंगे। लेकिन अगर किसी निजी कंपनी ने ऐसा करने से मना कर दिया तो फिर दंड का प्रावधान क्या है ? मुझे लगता है कि इसपर भी सरकार को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
स्थानीयता भी तय होगी और नियुक्ति भी की जाएगी, लेकिन हंगामे से नहीं- प्रदीप यादव
प्रदीप यादव ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इस राज्य की भावनाओं के अनुरुप स्थानीय नीति बनेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। लेकिन जिस प्रकार प्रवर समिति ने स्थानीय लोगों के लिए प्राइवेट सेक्टर में 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है, इसपर हमें सरकार का अभिनंदन करना चाहिए।
जल्द होगा स्थानीयता का फैसला, आधार वर्ष भी बताएंगे- सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब विपक्ष को मौका मिला तब तो उन्होने स्थानीयता को लेकर सब गुड़गोबर कर दिया। इसी का परिणाम है कि वे आज विपक्ष में बैठे हैं। जनता ने इनको वो दर्द दिया है कि भाजपा को विधानसभा के फर्श पर बैठकर धरना देना पड़ रहा है। सीएम ने कहा कि नई नियुक्ति नियमावली और प्रवर समिति की सिफारिसें तो पहला कदम है। देखते जाइए कि सरकार स्थानीय नीति भी बनाएगी और उसका आधार वर्ष भी बताएगी। तब आपके पास बोलने का मौका भी नहीं होगा।