देहरादून: उत्तराखंड में जंगलों में आग का मौसम खत्म होने को है, लेकिन राज्य के 7145 वनकर्मी अभी भी जरूरी सुरक्षा किट का इंतजार कर रहे हैं। यह स्थिति राज्य सरकार की उदासीनता को दर्शाती है, जहां वनकर्मी बिना सुरक्षा उपकरणों के आग से जूझ रहे हैं।
हर साल 15 फरवरी से 15 जून तक का समय जंगलों में आग का सबसे संवेदनशील मौसम माना जाता है। बढ़ते तापमान के कारण हजारों हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो जाते हैं, जिससे भारी पर्यावरणीय नुकसान होता है। इसी वजह से वनाग्नि को आपदा घोषित किया गया है, ताकि इसमें देरी न हो।
तैयारी नवंबर से शुरू होती है
हर साल नवंबर-दिसंबर में तैयारी शुरू होती है—फील्ड स्टाफ की तैनाती, फायर वॉचरों की नियुक्ति, उपकरणों की खरीद आदि। इस बार, आपदा प्रबंधन विभाग को World Bank द्वारा वित्त पोषित ‘यू प्रिपेयर’ योजना के तहत सुरक्षा किट की खरीद करनी थी।
7145 फायर रेसिस्टेंट जूते, दस्ताने और अन्य सुरक्षा उपकरण खरीदे जाने थे, जिससे फायर फाइटिंग के दौरान वनकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
किट आज तक नहीं मिलीं
वर्क ऑर्डर जारी होने के बाद भी अब तक एक भी सुरक्षा किट फील्ड स्टाफ को नहीं मिली। वन विभाग ने कई बार पत्र भेजे, लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
वन विभाग के एपीसीसीएफ (वनाग्नि और आपदा) निशांत वर्मा ने पुष्टि की कि विभाग ने अपने स्तर से कुछ उपकरण जरूर वितरित किए हैं, लेकिन 7145 किट का इंतजार अभी भी जारी है।
अब जब मानसून दस्तक देने वाला है, तब तक जंगलों में आग का खतरा कम हो जाएगा, लेकिन इस बार भी सुरक्षा किट समय पर नहीं मिल पाई।
सूत्रों का कहना है कि इन किट्स की आपूर्ति आने वाले दिनों में भी अनिश्चित है, जिससे राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं, खासकर तब जब खुद सरकार ने इस साल वनाग्नि को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया था।