Sunday 9th of November 2025 04:30:17 PM
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‘यूपीए सरकार की फिजूलखर्ची

रांची : कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की गलत नीतियों, फिजूलखर्ची और अदूरदर्शी फैसलों के कारण देश की सार्वजनिक क्षेत्र की विमानन कंपनी एयर इंडिया भारी नुकसान में है और अब इसके विनिवेश के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है| वर्तमान सरकार इसके विनिवेश की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है जिसकी गति कोरोना महामारी के कारण थोड़ी धीमी हुई है| राज्यसभा में बुधवार को सांसद महेश पोद्दार के एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए नागरिक विमानन राज्यमंत्री जनरल विजय कुमार सिंह ने यह जानकारी दी|

राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न पर सरकार ने दी जानकारी
राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के प्रश्न पर सरकार ने दी जानकारी

नागरिक विमानन राज्यमंत्री जनरल V.K. सिंह ने बताया कि 2007-08 में एयर इंडिया के विलय के बाद iसे लगातार घाटा उठाना पड़ा है| इसके अलावा पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के कार्यकाल में विमानों की थोक खरीद के कारण लिए गए कर्ज के अत्यधिक ब्याज का भार, कम लागत वाले ऑपरेटर्स के साथ प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, अधिक इनपुट लागत, विनिमय दर अंतर के प्रतिकूल प्रभाव और विलय के अनुमानित फ़ायदों के प्राप्त न होने से भी एयर इण्डिया का घाटा लगातार बढ़ता गया|

मंत्री डॉ. सिंह ने बताया कि एयर इण्डिया को 31 मार्च 2020 तक लगभग 70,280 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है| सरकार ने इसकी नाजुक वित्तीय स्थिति एवं इसके लगातार और बढ़ते हुए नुकसान के कारण इसके रणनीतिक विनिवेश का निर्णय लिया है| एयर इण्डिया की 100% बिक्री के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के आमंत्रण के लिए 27 जनवरी 2020 को प्रारम्भिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) जारी किया गया था| कोविड-19 महामारी के कारण ईओआई जमा करने की अंतिम तारीख को समय-समय पर आगे बढ़ाया गया था, अंतिम तारीख 14 दिसंबर 2020 थी| अंतिम बोलियों को जमा किये जाने के लिए, शेयर खरीद प्रस्ताव (एसपीए) के मसौदा के साथ, प्रस्ताव हेतु अनुरोध (आरएफपी) 30 मकरच 2021 को इच्छुक बोलीदाताओं के साथ साझा किया गया है| वित्तीय बोलियों के 15 सितंबर 2021 तक प्राप्त होने की संभावना है|

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