Thursday 30th of October 2025 08:25:33 PM
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UAPA ट्रिब्यूनल ने मीरवाइज उमर फारूक के संगठन पर प्रतिबंध को लेकर जनता से मांगा बयान

श्रीनगर: केंद्र सरकार द्वारा मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले अवामी एक्शन कमेटी (AAC) को गैर-कानूनी संगठन घोषित किए जाने के फैसले की समीक्षा के लिए UAPA ट्रिब्यूनल अगले सप्ताह श्रीनगर में जनसुनवाई करेगा।

यह ट्रिब्यूनल दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की अध्यक्षता में 1 अगस्त को दोपहर 2 बजे और 2 अगस्त को सुबह 11 बजे से शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में बैठक करेगा।

जनता से साक्ष्य देने की अपील की गई है — जो लोग सरकार के निर्णय के समर्थन या विरोध में सबूत या सामग्री प्रस्तुत करना चाहते हैं, उन्हें 29 जुलाई 2025 को दोपहर 2 बजे तक शपथपत्र के साथ ट्रिब्यूनल रजिस्ट्रार डॉ. सुमेध कुमार सेठी के पास आवेदन देना होगा।

AAC को 11 मार्च, 2025 को सूचना S.O. 1115(E) के माध्यम से UAPA की धारा 3 और 4 के तहत प्रतिबंधित किया गया था और यह अधिसूचना 3 अप्रैल को भारत के राजपत्र में प्रकाशित की गई थी।

AAC की पृष्ठभूमि:
AAC की स्थापना 1960 के दशक में मीरवाइज मोहम्मद फारूक ने की थी और यह जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से राजनीतिक अलगाववादी आंदोलन से जुड़ा रहा है। वर्तमान में इसका नेतृत्व उनके बेटे और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (मीरवाइज धड़ा) के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक कर रहे हैं।

ट्रिब्यूनल ने कहा है कि जो व्यक्ति बयान देंगे, उन्हें जिरह का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कहा गया कि सार्वजनिक भागीदारी UAPA के तहत ट्रिब्यूनल की कानूनी प्रक्रिया का एक अनिवार्य हिस्सा है।

ट्रिब्यूनल की सिफारिशें यह तय करेंगी कि AAC पर लगाया गया प्रतिबंध जारी रहेगा या उसे हटा लिया जाएगा।

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