मेदिनीनगर (उज्ज्वल दुनिया)। प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी और टीएसपीसी झारखंड-बिहार सीमा पर एक हो गए हैं। दोनांे के नजदीक होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है और दोनों के एक होने के प्रमाण जुटाए जा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार पलामू के मनातू, पांडू, नौडिहा बाजार, हरिहरगंज, हुसैनाबाद और छत्तरपुर के इलाके में टीएसपीसी का दस्ता माओवादियों को सहयोग कर रहा है। साथ ही दोनों संगठन के दस्ते पलामू, चतरा और गया सीमा पर एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं। दोनों के एक हो जाने से
माओवादियों के छकरबंधा और बूढ़ापहाड़ कॉरिडोर भी प्रभावित हुआ है। कुछ महीने पहले माओवादियों के टॉप कमांडर के इसी कॉरिडोर से होते हुए बूढ़ापहाड़ पहंुचने की भी संभावना जताई गई है। बताया जाता है कि पलामू, चतरा, लातेहार, गढ़वा और हजारीबाग के इलाके में माओवादियों के बाद सबसे अधिक टीएसपीसी का प्रभाव रहा है। वहीं, चतरा में टीएसपीसी का प्रभाव अधिक रहा है।
मालूम हो कि माओवादियों से अलग होकर ही टीएसपीसी का गठन हुआ था। 2004 में एमसीसी और पीपुल्सवार के विलय के बाद भाकपा माओवादी बना था और इसी में से एक धड़ा अलग होकर टीएसपीसी बना। बाद में माओवादी और टीएसपीसी के बीच हिंसक संघर्ष की खबरें 2016-17 तक आती रही। 2011 में पलामू चतरा सीमा पर लकड़बंधा में टीएसपीसी ने 11 माओवादी टॉप कमांडर की हत्या की थी, जबकि 2013 में माओवादियों ने पलामू के बिश्रामपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया में 15 टीएसपीसी सदस्यों की हत्या कर दी थी। दोनों के आपसी संघर्ष में अब तक 200 से अधिक लोगों की जान गई है।
बताया जाता है कि दोनों उग्रवादी संगठन का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इसके बाद इन संगठनों ने एक होकर काम करने का निर्णय लिया है और अब दोनों संगठन पलामू, चतरा और बिहार सीमा से सटे हुए इलाकों में एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। दोनों एक ही जगह को अपना ठिकाना बना रहे हैं।