Wednesday 29th of October 2025 03:31:26 PM
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ट्रंप के टैरिफ बम से हिली दुनिया की अर्थव्यवस्था, वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगभग सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर लगाए गए नए और कड़े टैरिफ़ (शुल्क) के फैसले से शुक्रवार को वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल मच गई। हांगकांग, लंदन और न्यूयॉर्क के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि अमेरिका के कमजोर रोजगार आंकड़ों ने निवेशकों की चिंताओं को और बढ़ा दिया।

ट्रंप ने गुरुवार देर रात घोषणा की कि यूरोपीय संघ सहित लगभग 70 अर्थव्यवस्थाओं पर अब 10 से 41 प्रतिशत तक की नई टैरिफ दरें लागू होंगी। हालांकि, व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि ये टैरिफ 2 अगस्त की बजाय अब 7 अगस्त से प्रभावी होंगे, जिससे देशों को अमेरिका के साथ समझौते करने का एक सप्ताह का समय मिल गया है।

कनाडा, जो अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, उस पर शुल्क दर 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत कर दी गई है। हालांकि, कई जरूरी वस्तुओं को अभी भी छूट दी गई है।

यह टैरिफ नीति ट्रंप के “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसमें वे विदेशी आयातों को रोककर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है और उपभोक्ताओं को नुकसान हो सकता है।

बाजारों में गिरावट
शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। S&P 500 इंडेक्स 1.6 प्रतिशत गिरा, जबकि टेक्नोलॉजी-प्रधान Nasdaq 2.2 प्रतिशत लुढ़क गया।

इस बीच, जुलाई महीने के अमेरिकी जॉब डेटा ने भी निराश किया। रोजगार वृद्धि अनुमान से कम रही और बेरोजगारी दर 4.1% से बढ़कर 4.2% हो गई।

राजनीतिक संदेश छिपा है टैरिफ में
ट्रंप की नई टैरिफ नीति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव का हथियार भी बन गई है। उदाहरण के तौर पर, ब्राज़ील पर अलग तरह के टैरिफ इसलिए लगाए गए ताकि वह पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो के खिलाफ चल रहे मुकदमे को समाप्त करे।

कनाडा पर भी अलग टैरिफ थोपे गए क्योंकि प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने की योजना बनाई है। ट्रंप प्रशासन ने कनाडा पर “फेंटानिल और अन्य नशीले पदार्थों” को नियंत्रित न कर पाने का आरोप लगाया — जबकि कनाडा इनका प्रमुख स्रोत नहीं है।

चीन को मिली राहत, बाकी देशों से ‘डील’
ट्रंप प्रशासन ने चीन को फिलहाल इस टैरिफ ड्रामा से बाहर रखा है क्योंकि अमेरिका और चीन के बीच नए व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। फिलहाल दोनों देशों ने अपने-अपने टैरिफ स्तरों को अस्थायी रूप से कम करने पर सहमति जताई है।

वियतनाम, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ जैसे कुछ देशों ने अमेरिका से सौदे कर लिए हैं, जिससे उन्हें बढ़ी हुई टैरिफ से राहत मिली है। वहीं, स्विट्जरलैंड को अब 39 प्रतिशत की उच्च दर से टैरिफ देना होगा।

ट्रंप का ‘टैरिफ डिविडेंड’ प्रस्ताव
शुक्रवार को ट्रंप ने संकेत दिया कि वे “टैरिफ डिविडेंड” योजना पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत आम अमेरिकियों को टैरिफ से हुई कमाई का कुछ हिस्सा वितरित किया जा सकता है।

एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की वरिष्ठ उपाध्यक्ष वेंडी कटलर ने कहा, “यह कार्यकारी आदेश और हाल के महीनों में हुए सौदे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से बने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों को तोड़ते हैं।

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