तीन तलाक और समान नागरिक संहिता (UCC) के बाद, क्या बीजेपी मुसलमानों के लिए एक और नया मुद्दा तैयार कर रही है? असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के मदरसों पर दिए गए बयानों के बाद अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इसी तरह के संकेत दिए हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाते हैं, लेकिन दूसरों के बच्चों को उर्दू तक सीमित रखना चाहते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार हिंदी की उपभाषाओं—ब्रज, भोजपुरी, अवधी और बुंदेलखंडी—को बढ़ावा दे रही है। वहीं, सपा पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि वे कठमुल्लापन को बढ़ावा देना चाहते हैं और बच्चों को मौलवी बनाने की दिशा में ले जा रहे हैं।
इस बयान के बाद राजनीतिक घमासान मच गया। अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि शिक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने बीजेपी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि समाजवादी सरकार ने अपने कार्यकाल में छात्रों को लैपटॉप बांटे थे और बीजेपी केवल भेदभाव की राजनीति कर रही है।
क्या बीजेपी असम मॉडल को यूपी और अन्य राज्यों में लागू करने की तैयारी में है? क्या मदरसा शिक्षा पर कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा? इन सवालों पर राजनीति और गरमाने की संभावना है।