पलामू, झारखंड:
झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) में एक बाघिन की उपस्थिति की पुष्टि हुई है। चतरा, लातेहार, और गढ़वा के जंगलों में अक्टूबर से बाघिन सक्रिय है। इसके अलावा, रिजर्व में कुल सात बाघों के मूवमेंट रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनमें यह बाघिन भी शामिल है।
मुख्य बिंदु:
- वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट:
अक्टूबर और नवंबर 2023 में PTR द्वारा बाघों के स्कैट (मल) की जांच के लिए सैंपल वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) भेजे गए थे। रिपोर्ट ने बाघिन की उपस्थिति की पुष्टि की। - गढ़वा क्षेत्र में खतरा:
गढ़वा इलाके में एक बाघ लगातार मवेशियों को शिकार बना रहा है। इस वजह से ग्रामीणों में भय व्याप्त है। - कैमरे और सुरक्षा तैनाती:
बाघिन की सुरक्षा और निगरानी के लिए PTR में हाई अलर्ट जारी किया गया है। उनके मूवमेंट वाले इलाकों में अतिरिक्त कैमरे और वनकर्मी तैनात किए गए हैं। - PTR में बाघों की स्थिति:
- 2020 में PTR में एक वृद्ध बाघिन का शव मिला था।
- 2018 में PTR में बाघों की गिनती शून्य दर्ज की गई थी।
- मार्च 2023 में PTR में एक नए बाघ का मूवमेंट रिकॉर्ड किया गया।
- वर्तमान में छह बाघों और एक बाघिन का मूवमेंट दर्ज है।
- बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से संबंध:
पलामू टाइगर रिजर्व के बाघ प्रवासी हैं और मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तथा छत्तीसगढ़ के संजय डुबरी और गुरुघासी टाइगर रिजर्व से आते हैं।- बांधवगढ़ से PTR तक का गलियारा 322 किलोमीटर लंबा है।
- बाघ अक्सर 400-500 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं, नई टेरिटरी की तलाश में।
महत्वपूर्ण जानकारी:
- PTR में बाघों की संख्या बढ़ने की संभावना है यदि बाघिन प्रजनन करती है।
- यह बाघिन वयस्क है और कई किलोमीटर का सफर कर रही है।
निदेशक का बयान:
PTR के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया:
“यह बाघिन प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। यदि PTR में बाघों की संख्या बढ़ती है, तो यह क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।”
पलामू टाइगर रिजर्व का महत्व:
PTR झारखंड का एकमात्र टाइगर रिजर्व है और सेंट्रल लैंडस्केप तथा ईस्टर्न घाट कॉरिडोर के बीच एक प्रमुख पड़ाव है। बाघ संरक्षण के लिहाज से यह रिजर्व बेहद महत्वपूर्ण है।
निगरानी और अलर्ट:
वन विभाग ने क्षेत्र में ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए निगरानी बढ़ा दी है।