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महाराष्ट्र में तीन महीनों में 23 बाघों की मौत, सरकार अनंत अंबानी की मदद से ‘वंतारा’ जैसे ‘सूर्य तारा’ अभयारण्य की योजना बना रही है

नागपुर: गुजरात में हाल ही में शुरू हुए ‘वंतारा’ अभयारण्य को एक अकेले उद्योगपति की पहल के रूप में सराहना मिली है, जहां 43 प्रजातियों के 2000 से अधिक जानवरों को आश्रय मिला है। वहीं दूसरी ओर, महाराष्ट्र में वन्यजीवों की मौतों को रोकने में सरकारी तंत्र विफल होता नजर आ रहा है। राज्य में पिछले तीन महीनों में 19 बाघों की प्राकृतिक मौत और 4 बाघों के शिकार की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

क्या महाराष्ट्र वन विभाग में कुछ गंभीर खामी है? इसी का जवाब जानने के लिए राज्य के वन मंत्री गणेश नाईक नागपुर में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने पिछले दो दिनों में वन विभाग के मुख्यालय में कई समीक्षा बैठकें कीं और समस्या की जड़ तक जाने की कोशिश की।

मंत्री नाईक ने बताया, “वर्तमान में राज्य में बाघों की कुल संख्या 446 है। इनमें से अधिकांश बाघ कोर एरिया में हैं, जबकि बफर जोन में कम हैं। सबसे ज्यादा बाघ चंद्रपुर जिले में पाए जाते हैं। लेकिन पिछले तीन महीनों में 19 बाघों की मौत और 4 बाघों का शिकार हुआ है, जिनमें से कुछ भूख के कारण मरे हैं।”

सरकार अब ‘वंतारा’ की तर्ज पर ‘सूर्य तारा’ नामक एक अभयारण्य बनाने की योजना बना रही है और इसके लिए अनंत अंबानी से सहयोग मांगा गया है।

“थाने जिले में सूर्य तारा अभयारण्य स्थापित करने के लिए भूमि की पहचान कर ली गई है और इसके लिए अनंत अंबानी को पत्र भेजा गया है,” मंत्री ने जानकारी दी।

वन मंत्री ने आगे कहा कि विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में अनावश्यक बाधाएं न डालें। राजस्व बढ़ाने के लिए कई नई पहलें शुरू की जा रही हैं। वन विकास निगम को उपलब्ध जमीन पर बांस लगाने को कहा गया है। इसके साथ ही मराठवाड़ा में मोसंबी, विदर्भ में संतरा, नासिक में अंगूर और पश्चिम महाराष्ट्र में अनार के बाग लगाए जाएंगे, जिससे फलों का रस निकालकर राजस्व बढ़ाया जा सकेगा।

समृद्धि महामार्ग के दोनों ओर सामाजिक वानिकी विभाग द्वारा वृक्षारोपण किया जाएगा।

पूर्व वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने नागपुर में एक बड़ी फर्नीचर फैक्ट्री का सपना देखा था, जिसे साकार करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। अगले सात महीनों में राज्य भर में 70 करोड़ रुपये की लागत से फर्नीचर निर्माण इकाइयाँ स्थापित की जाएंगी, जिनमें से हर माह 10 करोड़ रुपये निवेश किया जाएगा।

वन्यजीवों को जंगल की सीमा में ही बनाए रखने के लिए कोर क्षेत्र में फलदार वृक्ष लगाए जाएंगे ताकि शाकाहारी जानवरों की जरूरतें पूरी हों और मांसाहारी जानवर जैसे बाघ व तेंदुए जंगल के बाहर न जाएं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं कम हो सकें।

वन विभाग की खराब गुणवत्ता वाली जमीन का उपयोग सौर पैनल लगाने के लिए किया जाएगा, जिससे सौर ऊर्जा का उत्पादन कर राजस्व में वृद्धि होगी। विभाग के वाहनों की हालत खराब है, जिन्हें बदलने की आवश्यकता है और इसके लिए नए उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।

मंत्री ने बताया कि इस वर्ष मेलघाट में अब तक एक भी जंगल में आग की घटना सामने नहीं आई है। यदि आवश्यकता पड़ी तो हेलीकॉप्टर की सहायता से आग बुझाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा, आग बुझाने के लिए लगभग 50 लाख रुपये की लागत वाला ड्रोन भी खरीदा जाएगा।

शिकार की समस्या पर मंत्री ने कहा, “पहले शिकारी जंगलों में रहते थे, लेकिन अब वे शहरों में बस गए हैं। राजुरा में पकड़े गए शिकारियों के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन पाए गए हैं। जांच जारी है और जैसे ही आगे प्रगति होगी, चार्जशीट दाखिल की जाएगी।”

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