
झारखण्ड में फॉरेंसिक साइंस लैब के नाम पर मजाक चल रहा है। यहां के फॉरेंसिक लैब में खून और पेशाब तक की जांच की सुविधा नहीं है, फिर काहे का फॉरेंसिक लैब ? रांची के फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के पास यूरिन और ब्लड जांच की सुविधा नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। एफएसएल के निदेशक और गृह सचिव को 27 अगस्त को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया गया।
बड़ी दयनीय स्थिति है फॉरेंसिक लैब की
धनबाद के जज उत्तम आनंद की सुनवाई के दौरान केस की जांच कर रही सीबीआई ने अदालत में सुनवाई के दौरान बताया कि मामले में आरोपी का यूरिन और ब्लड सैंपल की जांच के लिए एफएसएल लैब भेजा गया था लेकिन वहां से इसे लौटा दिया गया। लैब से सैंपल यह कहकर लौटा दिया गया कि यहां इसकी जांच की सुविधा नहीं है और ना ही इसके विशेषज्ञ हैं। सीबीआई की ओर से मिली जानकारी के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने इसे शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
27 अगस्त को गृह सचिव और फॉरेंसिक लेब के निदेशक को पेश होने का आदेश
जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की पीठ ने सुनवाई की। इस दौरान सीबीआई की स्पेशल टीम से एफएसएल जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया। जिसपर सीबीआई ने कहा कि लैब में जांच की सुविधा नहीं होने के कारण सैंपल को लौटा दिया गया। इस वजह से ही टीम रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी। कोर्ट ने इसे शर्मनाक बताते हुए कहा कि क्या एफएसएल रांची में यूरिन जांच तक की सुविधा नहीं है? इस मामले में कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए 27 अगस्त को राज्य के गृह सचिव और एफएसएल के निदेशक को हाजिर होने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी।
‘फुटेज से लग रहा जानबूझकर मारा गया’
सीबीआई को ऑटो और जज में हुई टक्कर की जगह की जांच रिपोर्ट भी देने को कहा गया है, ताकि यह पता चल पाए कि जज की मौत टक्कर से हुई है या फिर उन्हें किसी ने मारा है। क्योंकि सीसीटीवी फुटेज से ऐसा लग रहा है कि चालक के पास बैठे व्यक्ति ने जज को मारा है और कोर्ट प्रथम दृष्टया ऐसा मान रही है। कोर्ट ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जज के सिर के दाहिने हिस्से में डेढ़ इंच का घाव है, जो ऑटो के साइड मिरर से नहीं हो सकता है। सीबीआई को इस बिन्दु पर भी जांच करनी चाहिए।

