रांची। केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि खराब प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य मंत्री, श्रम मंत्री समेत कई मंत्रियों के इस्तीफे लिए, जबकि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री फेल साबित हुए हैं। उन्हें इस्तीफा देना चाहिए था। उन्होंने महामारी के दौरान चुनाव प्रचार किया। यह आपदा प्रबंधन कानून का भी उल्लंघन है। अच्छा होता कि प्रधानमंत्री खुद इस्तीफा देते और गृह मंत्री का इस्तीफा लेते। परीक्षाएं मैनेज नहीं कर पाने के कारण एचआरडी मंत्री हटाए गए।

अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा जनप्रतिनिधियों को खारिज कर देगी झारखंडी जनता
श्रम मंत्री हटाए गए। प्रमुख विभागों के मंत्री हटा दिए गए, जबकि पूरी सरकार ही फेल थी। सुप्रियो ने आगे कहा कि झारखंड को संख्या बल के लिहाज से प्रतिनिधित्व नहीं मिला। 20 सांसदों वाले राज्य में भाजपा के 16 सांसद हैं, लेकिन इस हिसाब से केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनका प्रतिनिधित्व नहीं है। इसके लिए भाजपा के सांसद जिम्मेदार हैं। झारखंड भाजपा की प्राथमिकता सूची में नहीं है। भाजपा जनप्रतिनिधियों को बंधुआ मजदूर समझती है। इनके सांसद भी राज्य का सवाल नहीं उठाते। ऐसे जनप्रतिनिधियों को अगले चुनाव में जनता खारिज कर देगी।
आदिवासी राज्यपाल को हटाया
आदिवासी-मूलवासी की आवाज दबा रही केन्द्र सरकार
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को हटाने की भी आलोचना की। महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि महिला आदिवासी राज्यपाल को बदला गया। यह षड्यंत्र है। हालांकि नए राज्यपाल की उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सुलझे हुए व्यक्ति हैं। छह बार सांसद, विधायक रहे। केंद्रीय मंत्री के पद पर भी रहे। उनका झारखंड में स्वागत है, लेकिन भाजपा आदिवासी हितों की आवाज उठाने वालों को दबाने का काम करती है। उन्होंने फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मृत्यु को साजिश करार देते हुए कहा कि भाजपा की सोच भयावह है। आदिवासियों और मूलवासियों की आवाज को दबाया जा रहा है।