
- राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी पर लगे आरोप डराने धमकाने की साजिश
- राज्य की पुलिस बन गई सरकार की टूल्स
- बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर कड़ा हमला बोला
रांची । पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कुछ महीनों पहले मुंबई की एक लड़की ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर मुझपर, सुनील तिवारी पर और गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे से अपनी जान को खतरा बताया । इसके बाद मैंने उस मामले पर महाराष्ट्र के डीजीपी परमवीर सिंह को चिट्ठी लिखकर जांच की मांग की। हमने मुंबई हाइकोर्ट में यह कहते हुए याचिका डाली की कहीं लड़की को कुछ हो गया तो हमलोंगों पर ही इल्जाम आएगा । जब मुंबई हाइकोर्ट में सुनवाई में देर हुई तो हम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे । मेरे कहने पर ही सुनील तिवारी इंटरवेनर बनें । 24 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई है, लेकिन उससे ठीक 10 दिन पहले यानि 14 अगस्त को सुनील तिवारी पर झूठा यौन शोषण का केस दर्ज कर दिया जाता है।
बड़े मामले को दबाने के लिए झूठा केस दर्ज किया गया
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जिस लड़की के नाम पर अरगोड़ा थाने में सुनील तिवारी के खिलाफ यौन शोषण का झूठा केस दर्ज किया गया वो कई वर्षों से सुनील तिवारी के यहां रहकर पढ़ाई करती है और घर के छोटे-मोटे काम भी करती है। लॉकडाउन और कोरोना के चलते स्कूल बंद हैं, लिहाजा लड़की करीब एक महीने पहले ही अपने घर अनगड़ा चली गई। 14 अगस्त को अनगड़ा के उसके गांव से पुलिस उस लड़की और उसके परिवार को उठा कर लाती है (इस बात की पुष्टि अनगड़ा थानेदार ने की है) । रात डेढ़ बजे तक उस लड़की और उसके परिवार को थाने में बिठाकर रखा जाता है। पुलिस उस लड़की और उसके परिवार को मानसिक रुप से प्रताड़ित करती है। अगले दिन 15 अगस्त को अरगोड़ा थाने में लड़की के हवाले से केस दर्ज किया जाता है। इसके बाद लड़की को रांची के एक बाल कल्याण गृह में रख दिया जाता है, जहां उससे मिलने की इजाजत किसी को नहीं है।
रांची पुलिस अलग-अलग बातें कह गुमराह कर रही है- बाबूलाल

बाबूलाल मरांडी ने सवाल किया कि
- पहला, जब लड़की अपने परिवार के साथ थी तो फिर उसे बाल कल्याण गृह में क्यों रखा गया, जहां आमतौर पर लावारिस लड़कियों को रखा जाता है। क्या लड़की के परिवार वाले नहीं हैं ?
- दूसरा, रांची पुलिस पहले कहती है कि लड़की को खूंटी के एक जगह से रेस्क्यू किया गया , जबकि अनगड़ा थानेदार कहते हैं कि देर रात उसे उसके घर से उठाया गया , इधर ग्रामीण एसपी कुछ भी नहीं बोल कर इधर-उधर की बातें कर रहे हैं । इस पूरे मामले पर पुलिस की भूमिका इतनी संदिग्ध क्यों है ?
- तीसरा, मुंबई वाले मसले पर सुनील तिवारी को फोन पर धमकाने की कोशिश हुई, उनसे कहा गया कि इस मामले में मत फंसों वरना बर्बाद कर देंगे। बाबूलाल ने कहा कि सीएम के बेहद करीबी लोगों ने फोन पर धमकी दी। जब इन सारी धमकियों के सामने वे नहीं झुके तब कहीं उन्हें डराने के लिए ये नया हथकंडा तो नहीं ?
- 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मुंबई वाले मामले की सुनवाई है। सुनील तिवारी उस गंभीर मामले में इंटरवेनॉर हैं। कहीं सुनवाई से पहले सुनील तिवारी को अरेस्ट करने की साजिश तो नहीं है ?
- बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जिस लड़की ने सुनील तिवारी पर आरोप लगाए है वो लगभग एक वर्ष पूर्व उनके यहाँ काम करती थी। आश्चर्य है कि ओ इतने बड़े मामले को एक वर्ष तक दबाकर रखा। न पुलिस को बताए, न परिजनों को न सुनील तिवारी के परिवार को।
- दूसरी तरफ एक लड़की जो सुनील तिवारी के यहाँ रहकर पढ़ती थी, उसे 15 अगस्त को जब पूरा देश आजादी का जश्न मना रहा था उसे घर से उठाकर अनगढ़ पुलिस ले जाती है। साथ मे 6 और 4 वर्ष के बच्चों को भी ले जाती है। रात के 1बजे तक थाना में प्रताड़ित करती है। रात 3बजे कही गुप्त स्थान पर ले जाती है। 16 अगस्त को उस बच्ची को बाल सुधार गृह लाया जाता है।
उन्होंने पूरे घटनाक्रम की सीबीआई अथवा सिटींग जज की अध्यक्षता में गठित जांच समिति से कराने की मांग की।