सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में दो समानांतर लीगल सिस्टम नहीं हो सकता जो एक अमीर और शक्तिशाली और राजनीतिक पहुंच वाले लोगों के लिए हो और दूसरा संसाधन से वंचित आम आदमी के लिए। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के दमोह के अडिशनल सेशन जज पर एसपी और दूसरे पुलिस अधिकारियों की तरफ से दबाव बनाने के मामले को गंभीरता से लिया है। डीजीपी को पूरे मामले की एक महीने के भीतर जांच का आदेश दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या मामले में मध्यप्रदेश से बीएसपी विधायक रमाबाई के पति गोविंद सिंह की जमानत रद्द कर दी।
स्वतंत्र और निष्पक्ष ज्यूडिशियरी लोकतंत्र की बुनियाद
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र की बुनियाद है और उसमें किसी भी तरह का राजनीतिक दखल व दबाव नहीं होना चाहिए। स्वतंत्र और निष्पक्ष ज्यूडिशियरी लोकतंत्र की बुनियाद है और उसे तमाम राजनीतिक और अन्य तरह के बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य मशीनरी की ड्यूटी है कि वह रूल ऑफ लॉ के प्रति समर्पित रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दो समांतर लीगल सिस्टम नहीं हो सकता, जिसमें एक अमीर और शक्तिशाली लोगों के लिए जिनके पास राजनीतिक पावर है और दूसरा आम आदमी के लिए जिनके पास कोई संसाधन नहीं है व क्षमता नहीं है।
नीचली अदालतें लोगों की रक्षा के लिए हैं, उन्हे दबाने के लिए नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों के अधिकारों की रक्षा की पहली पंक्ति में जिला ज्यूडिशियरी होती है। अगर ज्यूडिशियरी में लोगों का विश्वास बनाए रखना है तो जिला ज्यूडिशियरी पर ध्यान रखना होगा। निचली अदालतों ऐसे लोगों का पहला डिफेंस है जिनके साथ कुछ गलत गुजरा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निष्पक्षता ज्यूडिशियरी का आधार है। ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता की अहमियत के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब ये है कि किसी भी राजनीतिक दबाव या किसी भी बाहरी दबाव के बिना ज्यूडिशियरी का काम। यानी बिना किसी बाहरी कंट्रोल के जज को स्वतंत्रता होनी चाहिए। ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता से मतलब है कि सीनियर के दबाव से भी स्वतंत्रता ताकि फैसले में किसी का कोई दखल न हो।