झारखंड कांग्रेस में हलचल अचानक बढ़ गई है। नेताओं के दिल्ली दौरे बढ़ गये हैं। कुछ खुद के लिए तो कुछ अपने आका के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। दिल्ली पहुंचने वालों में ज्यादा संख्या रांची, धनबाद और जमशेदपुर जैसे जिलों के नेताओं की है । कहा जा रहा है कि रामेश्वर उरावं जाने वाले हैं, कोई नया आने वाला है….
एक नेता, एक पद की उठी मांग
झारखंड कांग्रेस में दो ऐसे नेता हैं जो एक साथ दो पद संभाल रहे हैं । पहला, रामेश्वर उरावं और दैसरे आलमगीर आलम । रामेश्वर उरांव झारखंड के वित्त मंत्री तो हैं ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं । वहीं आलमगीर आलम भी मंत्री होने के साथ-साथ विधानसभा में विधायक दल के नेता भी हैं। अब कांग्रेस के अंदर से ही आवाज उठ रही है कि जब पार्टी में “एक व्यक्ति, एक पद” का नियम है तो फिर इन दोनों को ये स्पेशल छूट क्यों ?
बोर्ड-निगम के गठन में देर क्यों ?
वैसे तो पार्टी के अंदर कई बातों को लेकर नाराजगी है लेकिन बोर्ड निगम का गठन न होने को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। हेमंत सरकार का लगभग दो साल पूरा होने वाला है। अब बाकी बचे तीन सालों में ही काम होने हैं । कांग्रेस के अंदर सवाल उठ रहे हैं कि जो मंत्री बन गये, वो ही नहीं चाहते कि बोर्ड-निगम पर जल्द फैसला हो , ताकि इनका प्रभुत्व बना रहे । इसी तरह 12वें मंत्री का फैसला न होने को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि रामेश्वर उरावं का कुर्सी प्रेम ही है। कहा जा रहा है कि वो अपने निष्कंटक सत्ता में मंत्री को लेकर कोई हलचल पैदा नहीं करना चाहते। वैसे भी रामेस्वर उरावं तकतक कोई बदलाव या प्रतिक्रिया नहीं देते, जबतक कोई बाह्य बल न लगाया जाय ।
नये अध्यक्ष पद के संभावित नामों की भी चर्चा
हालांकि अभी कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पर किसी के नाम पर फैसला नहीं लिया है लेकिन उससे पहले ही कुछ नामों को लेकर चर्चाएं शुरु हो चुकी हैं । कोई कह रहा है कि इस सरकार में कांग्रेस की ओर से किसी महिला को कोई पद नहीं दिया गया है, लिहाजा अध्यक्ष पद किसी महिला को देकर पार्टी महिलाओं के गुस्से को शांत कर सकती है। ऐसे लोगों की पहली पसंद महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह या गीता कोड़ा हैं।
पार्टी का एक धड़ा किसी क्रिश्चियन आदिवासी को पार्टी का अध्यक्ष पद या फिर 12वां मंत्री पद दिलाने के लिए जोर लगा रहा है। इनका तर्क है कि जिस ईसाई आदिवासियों ने हमेशा कांग्रेस को वोट दिया हो, सरकार बनने के बाद उनकी उपेक्षा करना ठीक नहीं है। वैसे भी हेमंत सोरेन अपने बयानों से ईसाई आदिवासियों को अपनी ओर खींचने का भरसक प्रयास कर रहे हैं. कहीं ऐसा न हो कि आगे के चुनावों में समाज का ये तबका कांग्रेस को छोड़ झामुमो का दामन थाम ले ।
कांग्रेस के अंदर एक छोटा लेकिन मजबूत धड़ा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार को दोबारा पार्टी की कमान देने के पक्ष में है। अजय कुमार के गांधी परिवार के साथ मधुर रिश्ते हैं. राहुल गांधी और सोनिया , दोनों अजय कुमार को पसंद करते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस में दोबारा वापसी के पीछे भी गांदी परिवार के साथ यही मधुर रिश्ता काम आया, वरना झारखंड कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व तो डॉ. अजय कुमार को दोबारा कांग्रेस में वापस ही नहीं आने देना चाहता था ।