उज्ज्वल दुनिया
रांची। संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में झारखंड सरकार से मांग की गई कि आदिवासी समुदाय के बीच एक दूसरे से आदिवासी जमीन की खरीद-बिक्री करने के लिए सीएनटी एक्ट में थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करके प्रदेश के लिए अनिवार्य बनाया जाए। इसके लिए इस कानून में संशोधन किया जाए।
इसके अलावा मांग की गई कि आदिवासी पुरुष द्वारा किसी गैर आदिवासी महिला को विवाह करने के बाद उस महिला को अनूसूचित जनजाति का कोई लाभ नहीं दिया जाए । इसी तरह आदिवासी महिला द्वारा किसी गैर आदिवासी पुरुष से विवाह करने के पश्चात् उस महिला को भी अनूसूचित जनजाति के लाभ से वंचित किया जाए। इसके लिए ठोस कानून बनाया जाए।
इतना ही नहीं, अनूसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत करने में विवाहिता आदिवासी महिला के जाति प्रमाण पत्र के आवेदन में उस महिला के पति और पिता दोनो की ओर से जाति, खतियान, वंशावली दर्शाने को अनिवार्य किया जाए। इसके लिए राज्य सरकार ठोस कदम उठाए।
अनूसूचित जनजाति के लिए सरकार द्वारा निर्गत की गई जाति प्रमाण पत्र को आजीवन किया जाए।अगर महिला विवाहिता हो तो उनका दोबारा जाति प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य किया जाए।
इस संवाददाता सम्मेलन में लक्ष्मी नारायण मुंडा, कुलभूषण डूंगडूंग, निरंजना हेरेंज, अरविंद उरांव , चंदन पाहन,उमेश मुंडा, पवन तिर्की,शिवरतन मुंडा, बासुदेव भगत आदि लोग शामिल थे।