तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग परियोजना के निर्माण के दौरान टनल की छत गिरने से आठ मजदूर फंस गए हैं। हादसे के तीन दिन बाद भी बचाव कार्य जारी है, लेकिन अब तक फंसे हुए लोगों से संपर्क नहीं हो सका है। राज्य सरकार ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) से मदद मांगी है ताकि बचाव कार्य को तेज किया जा सके।
बचाव अभियान में सेना, नौसेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) और एलएंडटी के विशेषज्ञ शामिल हैं, लेकिन सुरंग में बढ़ती कीचड़ और पानी के कारण अभियान में बाधाएं आ रही हैं। अब उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग हादसे में अहम भूमिका निभाने वाले रैट होल माइनर्स को बुलाया गया है, जो बेहद संकरी जगहों में खुदाई कर बचाव अभियान में माहिर माने जाते हैं।
नगरकुरनूल के जिलाधिकारी बी. संतोष के अनुसार, दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए पानी निकालने का काम जारी है, लेकिन अंतिम 40 से 50 मीटर की दूरी तय करना अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार विशेषज्ञों की सलाह लेकर नए वैकल्पिक रास्तों पर भी विचार कर रही है।
परिजनों की बढ़ती चिंता, सरकार ने दिया आश्वासन
फंसे हुए मजदूरों में से चार झारखंड के रहने वाले हैं—संदीप साहू, जगदा जेस, संतोष साहू और अंजू साहू। उनके परिवारजन तेलंगाना पहुंचे हैं और उन्हें सरकार की ओर से सभी आवश्यक सहायता दी जा रही है। दुर्घटना के बाद प्रशासन ने तुरंत परिजनों को सूचित किया था और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। परिवारजन अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनके प्रियजन सुरक्षित बाहर निकल आएंगे।
मंत्री बोले—बचाव कार्य में लग सकते हैं और 3-4 दिन
तेलंगाना सरकार के मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव ने कहा कि बचाव कार्य बेहद जटिल है और इसमें कम से कम तीन से चार दिन और लग सकते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि फंसे हुए लोगों के जिंदा बचने की संभावना ‘बहुत कम’ है, लेकिन सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क, सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और सड़क निर्माण मंत्री कोमती रेड्डी वेंकट रेड्डी ने बचाव कार्य की समीक्षा की और कहा कि राज्य सरकार परियोजना को अपने नियंत्रण में लेकर तेजी से आगे बढ़ने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
बचाव दल के सामने चुनौतियां
- सुरंग के अंदर पानी भर जाने और कीचड़ जमा होने से बचाव दल का आगे बढ़ना मुश्किल हो गया है।
- अब तक राहत टीम केवल 13.5 किलोमीटर की दूरी तय कर पाई है।
- वैकल्पिक रास्तों की तलाश की जा रही है ताकि मलबे को हटाकर जल्दी से जल्दी मजदूरों को निकाला जा सके।
- विशेषज्ञों की टीम बचाव कार्य के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है।
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बचाव कार्य किसी भी हाल में रोका नहीं जाएगा और जब तक फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला जाता, तब तक ऑपरेशन जारी रहेगा। अगले 24 घंटे इस अभियान के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।