झारखंड कांग्रेस की सर्जरी होने वाली है और इधर डॉक्टर साहब सुबह से ही बड़बड़ा रहे थे । “झारखंड में सबकुछ ठीक नहीं है। आलाकमान की नजर हर जगह है । एक व्यक्ति, एक पोस्ट…वक्त की मांग है…”
हमने कहा – “अमां यार डॉक्टर साहब, तुम तो बेवजह पजामे से बाहर हुए जा रहे हो । मंत्री-संत्री का मोह त्यागो…कुछ बड़ा सोचो ।”
उन्होंने छूटते ही कहा- इस बार रेल का टिकट कटवाकर निशिकांत दूबे को भागलपुर भेज देंगे ।
मैं ( थोड़ा अकबका कर)- अरे यार, इतना भी बड़ा मत सोचो , थोड़ा और नजदीक से विचार करो । डॉक्टर साहब, थोड़ा महीन राजनीति कीजिए ।
डॉक्टर साहब थोड़ा गंभीर हुए (लगभग सलाह देने वाले लहजे में ) – ” संगठन में बदलाव जरूरी है । जिला अध्यक्ष काम न कर पाने के कारण परेशान हैं। ONE MAN, ONE POST
मतलब, आपके निशाने पर सीधे उरावं जी हैं? वो मंत्री पद तो नहिंए न छोड़ेगे ?
डॅक्टर साहब, आला ठीक करते हुए बोले-” आप हमसे बोलवा के फंसा देते हैं जी ?”
मैंने कहा- “छोड़िए, ई सब बात को …प्रदीप यादव की वजह से ही फुरकान जी का सांसद वाला टिकट कट गया था । अब आप दोनों एक ही पार्टी में हैं। क्या लगता है, क्या होगा अगली बार?
जवाब- हमसे ज्यादा वोट से कौन जीता है पूरे झारखंड में। हमलोग खानदानी कांग्रेसी हैं।
मैं समझ गया, अब इजाजत दीजिए डॉक्टर साहब, आज के लिए इतना मसाला काफी है ।
इतना कह मैं तेजी से निकल गया, जाते-जाते बस इतना ही शब्द कानों में पड़ा, वे किसी से कह रहे थे -” आजकल मीडिया वाला भी टीआरपी के लिए यहीं आता है”