
सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान झारखंड सरकार की ओर से नीरज सिन्हा को डीजीपी बनाए जाने पर कोर्ट ने कड़ा नाराजगी जताई है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस मामले में दोषी लोगों पर कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई चलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी नीरज सिन्हा को नोटिस जारी किया है। अदालत ने उन्हें प्रतिवादी बनाया है और दो सप्ताह में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यूपीएससी और सरकार के खिलाफ इस तरह के मामले में सख्त आदेश पारित करने की आवश्यकता है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हुआ है उल्लंघन
सुनवाई के दौरान अवमानना दाखिल करने वाले राजेश कुमार की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि झारखंड सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है। राज्य सरकार ने पहले एमवी राव को राज्य का प्रभारी डीजीपी बनाया और फिर उन्हें हटाकर नीरज सिन्हा को डीजीपी बना दिया। कुछ दिनों बाद राज्य सरकार ने डीजीपी पद पर नीरज सिन्हा की स्थाई नियुक्ति कर दी। राज्य सरकार की ओर से ऐसा किया जाना गलत है।
क्या है पूरा मामला ?
प्रार्थी राजेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि जुलाई 2020 में यूपीएससी को वरीय पुलिस अधिकारियों का पैनल झारखंड सरकार ने भेजा था, ताकि डीजीपी का चयन हो सके। लेकिन यूपीएससी ने तब राज्य सरकार से केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी थी। राज्य सरकार के पत्राचार के बाद यूपीएससी ने दोबारा सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाकर दिशा निर्देश लाने को कहा था, लेकिन सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं गई। बाद में पुराने पैनल में वरीयता के आधार पर नीरज सिन्हा को डीजीपी बनाया गया।

