जम्मू: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारत-पाकिस्तान के संघर्षविराम के बाद स्थायी शांति की वकालत की है और युद्ध उन्माद फैलाने वालों की कड़ी आलोचना की है।
पुंछ क्षेत्र के दौरे के बाद, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मुलाकात की, उन्होंने मीडिया चैनलों पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने ‘युद्धोन्माद’ पैदा किया और देश में ‘खून की प्यास’ फैलाई।
मीडिया से बातचीत में महबूबा ने कहा,
“मुझे समझ नहीं आता कि ये लोग एसी कमरों में बैठकर युद्ध की बातें क्यों करते हैं। ये हमारे खून से खेल रहे हैं। संघर्षविराम की घोषणा के बाद मानो इन चैनलों के लिए मातम का समय हो गया हो। मैं उन्हें और उनके परिवारों को आमंत्रित करती हूं कि वे आकर सीमाओं पर रहें, उनके सभी खर्चे मैं उठाऊंगी।”
महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा,
“पहलगाम की घटना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, लेकिन मीडिया चैनलों ने जो युद्धोन्मादी माहौल बनाया है, वह और भी खतरनाक है। क्या उन्हें नहीं दिखता कि कैसे हमारे बच्चे, महिलाएं और आम लोग सब कुछ खो चुके हैं?”
उन्होंने शहीद का दर्जा, ₹50 लाख मुआवजा (जिनके घर पूरी तरह तबाह हुए) और आंशिक नुकसान वाले घरों के लिए ₹25 लाख व मरने वालों के परिजनों को सरकारी नौकरी की मांग भी रखी।
महबूबा मुफ्ती ने कहा:
“मैं हमेशा से कहती रही हूं कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। इससे सिर्फ आम लोग मरते हैं। संघर्षविराम कोई तात्कालिक घटना नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे बनाए रखने के लिए दोनों देशों को प्रयास करने चाहिए। भारत एक विकासशील देश है, लेकिन कश्मीर मुद्दा उसकी टांगों में बेड़ियों की तरह है।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या को सिर्फ आतंकवाद या सुरक्षा के चश्मे से नहीं देखना चाहिए, बल्कि जैसे अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा था – इस मसले का समाधान इंसानियत के आधार पर होना चाहिए।
“पहलगाम की घटना के बाद कश्मीरियों ने सड़कों पर निकलकर गुस्सा दिखाया। जब कश्मीरी एक कदम चले हैं, तो भारत सरकार को दो कदम बढ़ाकर जवाब देना चाहिए,” उन्होंने जोड़ा।