
गुरुवार देर रात झारखंड पुलिस के स्पेशल ब्रांच के जवान सादे कपड़ों में रांची के लोअर बाजार के एक बड़े होटल में पहुंचे। स्पेशल ब्रांच के पास इतनी पुख्ता जानकारी थी कि वो सीधे उस कमरे में पहुंचे, जहां से कथित तौर पर सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही थी । पुलिस सूत्रों का दावा है कि तीन लोगों को हिरासत में लेकर अज्ञात स्थान पर पूछताछ की जा रही है ।
दो ट्राली और तीन लोग…बस इतनी बरामदगी
पुलिस के सूत्रों ने उज्ज्वल दुनिया को बताया कि इस कथित गुप्त छापामारी में कुछ खास बरामद नहीं हुआ । सारे महत्वपूर्ण लोग पहले ही निकल चुके थे । दो-चार लाख रुपयों से सरकार नहीं गिरती और तीन बिजनेसमैन के लिए 2-4 लाख का हिसाब देना मुश्किल भी नहीं होगा। दूसरी बात, पुलिस की इस कथित “सरकार गिराओ थ्योरी” कोर्ट में कितनी टिक सकेगी ?
क्या सरकार ने खुद ही कहानी बनाई ?
कहने वाले तो ये भी दावा कर रहे हैं कि सरकार में शामिल कुछ लोगों ने ही अपनी ओर से कहानी गढ़, मीडिया में प्लांट की। वरना ऐसे कैसे हो सकता है कि इतनी गुप्त छापामारी की खबर आधे घंटे के अंदर सभी प्रमुख मीडिया संस्थानों को थी ? खासकर सत्ता पक्ष के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखने वाले पत्रकारों को?
दो-चार लोग कमा रहे हैं, बाकि के लिए सूखा ? ये तो बहुत नाइंसाफ़ी है?
भाजपा से जुड़े एक नेताजी बताते हैं कि कहीं कोई साजिश-वाजिश नहीं थी, बल्कि जानबूझकर ये कहानी बनाई गई है। वो विस्तार से समझाते हुए कहते हैं, “हेमंत सोरेन और रामेश्वर उरावं, दोनों को पता है कि ज्यादातर विधायक असंतुष्ट हैं। कुछ मीडिया में खुलकर बोल रहे हैं तो कुछ अंदर ही अंदर कुढ रहे हैं। ज्यादातर विधायकों का दर्द बस इतना है कि कुछ लोग खूब माल कमा रहे हैं और बाकियों की एक थानेदार भी नहीं सुन रहा। बस इसी असंतोष को दबाने के लिए, एक साजिश की कहानी प्लांट की गई है तकि जो ऐसा सोंच भी रहे हैं, वो कुछ दिनों के लिए अपना इरादा टाल दें।
बोर्ड-निगम और 12 वें मंत्री के सवाल को कितना टाल सकेंगे ?
फिलहाल तो इन दोनों सवालों को “जितना टाल सको, उतना टालो” की रणनीति पर काम चल रहा है। लेकिन आखिर कब तक ? पांच साल में से दो साल निकल चुके हैं। जो नये-नये बोर्ड-निगम के चेयरमैन आदि बनेंगे, उनको चीजों को समझने में भी कुछ वक्त लगेगा ही ? कम से कम तीन साल का निश्चित कार्यकाल तो मिले ? बहुत जल्दी है भाई, जल्दी करो…वरना ऑफर बहुत बड़ा है..????????????