Sunday 8th of September 2024 03:40:01 AM
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यूक्रेन में सैनिकों का गुस्सा और नए नियमों के खिलाफ मांग

यूक्रेन में सैनिकों का गुस्सा

रूस से युद्ध के बीच यूक्रेन की सरकार पर सैनिकों का गुस्सा फूटा है। यूक्रेन में सेना भर्ती को लेकर नियमों में बड़े बदलाव के लिए एक कानून संसद में पास हो गया है, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है। इसके पहले से ही सैनिकों में रोष व्याप्त होने लगा है।

सैनिकों के गुस्से का कारण

यूक्रेन में सेना भर्ती को लेकर हुए बदलावों का कारण है कि इससे सैनिकों को अपनी सेवा के लिए ज्यादा समय देना पड़ रहा है। नए नियमों के अनुसार, सैनिकों को अब तकनीकी और योग्यता परीक्षण के लिए और अधिक समय देना होगा। यह सैनिकों को व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में असुविधा पहुंचा रहा है। इसके अलावा, नए नियमों के अनुसार, सैनिकों को अब अपनी सेवा की अवधि के दौरान अधिक शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए भी बुलाया जा सकता है। यह भी सैनिकों को अत्यधिक दबाव महसूस कराता है।

सरकार के पक्ष और विपक्ष

यूक्रेन सरकार के मुताबिक, ये बदलाव सेना की ताकत और तैयारी को बढ़ाने का एक कदम है। इसके माध्यम से सैनिकों को अधिक शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा और वे अपनी नौकरी के बाद भी अच्छी रोजगारी पा सकेंगे। सरकार का कहना है कि इससे सेना की क्षमता में सुधार होगा और यह देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा।

विपक्ष के मुताबिक, ये नए नियम सैनिकों को अत्यधिक दबाव महसूस कराएंगे। उनका कहना है कि सैनिकों को पहले से ही काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है और इससे उनकी समस्याओं को बढ़ावा मिलेगा। विपक्ष का दावा है कि ये नए नियम सेना में असंतोष और अस्थिरता को बढ़ावा देंगे।

सैनिकों की मांग

सैनिकों की ओर से इस मुद्दे पर कई मांग की जा रही है। पहली बात तो ये है कि सरकार को सैनिकों की समस्याओं को समझना चाहिए और उन्हें उचित समाधान देना चाहिए। सैनिकों का कहना है कि वे अपनी सेवा के लिए जो भी समय देते हैं, उसे उन्हें सम्मानपूर्वक सम्पादित किया जाना चाहिए। उनकी मांगों के अनुसार, सैनिकों को अधिक शिक्षा और प्रशिक्षण का अवसर देना चाहिए, लेकिन उन्हें इसके लिए अधिक समय नहीं देना चाहिए।

इसके अलावा, सैनिकों की मांग है कि उन्हें अपनी सेवा के दौरान उचित वेतन और भत्ते मिलने चाहिए। वे अपने परिवारों की देखभाल करने के लिए अपनी नौकरी छोड़कर सेना में शामिल होते हैं, इसलिए उन्हें इसके लिए उचित मान्यता मिलनी चाहिए। सैनिकों की मांगों को ध्यान में रखते हुए सरकार को नए नियमों को पुनर्विचार करने की जरूरत है।

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