Thursday 21st of November 2024 10:06:00 PM
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…तो क्या “सरकार गिराओ मुद्दा” कांग्रेस को काबू में रखने का ‘टूलकिट’ था ?

अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ जब कांग्रेस के विधायक ताबड़तोड़ दिल्ली के दौरे कर रहे थे । पटना से लेकर दिल्ली तक अपने-अपने संपर्कों के द्वारा लॉबिंग कर रहे थे। दरअसल, लगभग सभी विधायक 12वें मंत्रीपद और बोर्ड-निगमों में हिस्सेदारी को लेकर न सिर्फ उत्साहित थे, बल्कि एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे थे । लेकिन फिर एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक आया कि सभी कांग्रेसी हेमन्त सोरेन के प्रति वफा की कसमें खा रहे हैं। कोई कह रहा है कि वो हेमन्त सोरेन का हनुमान है तो कोई शिबू सोरेन के लिए पद्मश्री और पद्म विभूषण की मांग कर रहा है । आखिर पिछले एक हफ्ते में ऐसा क्या हुआ कि तमाम कांग्रेसी अचानक झुक-झुक कर सजदा करने लगें ?

ऐसे हालात बने कि पद मांगने लायक नहीं रहे कांग्रेसी विधायक?
ऐसे हालात बने कि पद मांगने लायक नहीं रहे कांग्रेसी विधायक ?

इरफान अंसारी-उमाशंकर अकेला फुदक रहे थे, काबू में लाए गये

इरफान अंसारी अपने बयानों से सरकार के नाक में दम किए हुए थे । स्वास्थ्य मंत्री को दसवीं पास मिठाई बेचने वाला तक बोल दिया था । उन्होने तो यह भी कहा था कि साइकिल चलाने वाले को हवाई जहाज चलाने दे दिजिएगा तो वह एक्सीडेंट करबे न करेगा ? इरफान अंसारी ने नये-नये कांग्रेसी बने प्रदीप यादव के बारे में भी कहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने गलत उम्मीदवार को टिकट दे दिया इसलिए निशिकांत दूबे जीत गये । इरफान अंसारी पर यह भी आरोप है कि मधुपुर उप-चुनाव में उन्होने हफिजुल हसन को हराने के लिए बाबाधाम में पूजा कर ली, ताकि पूरा चुनाव हिंदू-मुस्लिम हो जाय और हफिजुल हार जाएं…खैर वो तो हुआ नहीं, लेकिन इरफान अंसारी को नाथने का इंतजाम हो गया ।

दूसरी ओर उमाशंकर अकेला भी खुद को विपक्ष में सबसे बड़ा यादव नेता बताते हुए मंत्री पद पर दावा ठोक रहे थे ।सरकार गिराओ अभियान के बहाने इन दोनों को ऐसा लपेटा गया कि दोनों बाप-बाप कर रहे हैं। अब वे सरकार विरोधी बयान देने की बात तो दूर, न मंत्रीपद मांग रहे हैं, न ही बोर्ड-निगम…फिलहाल तो इज्जत बचाने के लाले पड़े हैं ।

अंबा प्रसाद, दीपिका पांडे सिंह के खिलाफ FIR

आपने कभी सुना है कि बिना ऊपर के इशारे के, थाना सत्तारुढ़ दल के विधायक के खिलाफ FIR दर्ज कर दे ? लेकिन झारखण्ड में ऐसा हुआ है । कांग्रेस की दो महिला विधायकों के खिलाफ पुलिस ने FIR दर्ज कर ली, जबकि दोनों के खिलाफ मामूली आरोप थे। इसी तरह के मामले में झामुमो विधायक संजीव सरकार और समीर मोहंती के खिलाफ भी ठेकेदारों ने कमीशन लेने का आरोप लगाया, पर मजाल है कि पुलिस कोई कार्रवाई कर दे ? कांग्रेस की तीसरी महिला विधायक ममता देवी ने भी आरोप लगाया कि रामगढ़ थानेदार ने उनके फोन करने के बावजूद अवैध कोयला चोरी के आरोप में पकड़े गये ट्रकों को छोड़ दिया । सवाल है कि ऐसा कांग्रेस के विधायकों के साथ ही क्यों होता है ?

आलमगीर आलम के होटल पर कार्रवाई

क्या इसे इत्तेफाक माना जाय कि आलमगीर आलम ने जैसे ही कहा कि ‘कांग्रेस को कोई भी विधायक सरकार गिराने में शामिल नहीं था, ये कांग्रेस विधायकों को बदनाम करने की चाल है’, उसके ठीक अगले दिन राजधानी रांची के हिनू में उनके होटल को सील करने का आदेश हो जाता है ? आलमगीर आलम तो रामेश्वर उरावं के बाद सबसे पावरफुल कांग्रेसी माने जाते हैं । फिर उनकी इतनी बेइज्जती अपनी ही सरकार में क्यों ? ठीक इसी प्रकार बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के मामले को भी स्पीकर लटका कर रखे हुए हैं।

यहां करीब आधे दर्जन कांग्रेसी विधायकों के ऊपर अपनी ही सरकार में हो रही फजीहत की बात हमने बताई है। और भी कई मामले हैं….लेकिन बड़ा सवाल ये है कि हर बार निशाने पर कांग्रेसी ही क्यों हैं ? कभी प्रशासन झामुमो से जुड़े किसी विधायक या मंत्री पर कार्रवाई क्यों नहीं करता ? या सचमुच यहां कांग्रेसी विधायकों को कोई मैसेज दिया जा रहा है ?

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