भारतीय जनता पार्टी खुद को अनुशासित पार्टी कहती है, लेकिन जब तब इस अनुशासित पार्टी की अनुशासनहीनता भी बाहर आ ही जाती है । कुछ ऐसा ही रांची में रविवार को हुआ । सांसद संजय सेठ, रांची विधायक सीपी सिंह, मेयर आशा लकड़ा के सामने ही पार्टी के दो गुट आपस में भिड़ गए। कहासुनी के बाद नौबत हाथापाई तक जा पहुंची। वो तो भला हो सीपी सिंह का, जिन्होंने किसी तरह मामले को संभाला ।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल रांची के अटल वेंडर मार्केट में भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के “मन की बात” सुनने का कार्यक्रम रखा गया था।भाजपा नेता मुकेश मुक्ता की ओर से सांसद संजय सेठ, विधायक सीपी सिंह, मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय को न्योता भेजा गया। सभी गणमान्य लोग सही समय पर पहुंच गए, लेकिन तभी भाजपा के महानगर अध्यक्ष केके गुप्ता और वरूण साहू की मुकेश मुक्ता से कहासुनी शुरू हो गई। केके गुप्ता का कहना था कि कार्यक्रम का आयोजन उन्होंने किया है, इसपर मुकेश मुक्ता ने कुछ कहा। इतना सुनते ही दोनों ओर के लोग आपस में भिड़ गए।
सीपी सिंह ने मामले को शांत कराया
मामला बेकाबू होता देख सीपी सिंह ने कार्यकर्ताओं से “भारत माता की जय” और “भारतीय जनता पार्टी जिंदाबाद” के नारे लगवाए। उन्होंने दोनों पक्षों को शांति से बैठने की अपील की। सीपी सिंह के प्रयास से दोनों पक्ष शांत हुए।
गुटबाज़ी ने झारखंड भाजपा को बहुत नुकसान पहुंचाया है
झारखंड भाजपा में शीर्ष नेतृत्व से लेकर मंडल स्तर के कार्यकर्ता तक गुटबाज़ी के कारण पार्टी की लुटिया डूबती रही है । पार्टी सर्कल में एक कहावत है कि “भाजपा को सिर्फ भाजपा ही हराती है” । अर्जुन मुंडा को हराने के लिए रघुवर दास लगेंगे और रघुवर दास को हराने के लिए अर्जुन मुंडा गुट सक्रिय हो जाता है। पिछला विधानसभा चुनाव हो या दुमका, मधुपुर का उपचुनाव, भाजपा के लोग भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी को हराने के लिए साज़िशों में जुटे रहते हैं। अब शीर्ष नेतृत्व के गुटबाज़ी का असर निचले स्तर के कार्यकर्ताओं पर भी पड़ने लगा है। भाजपा का अदना सा भी कार्यकर्ता किसी न किसी बड़े नेता के गुट में शामिल है।
बड़े नेताओं के इगो को संभालते हुए एकजुट रखना बड़ा चैलेंज
प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह, संगठन प्रभारी नागेन्द्र जी के लिए अगर कोई सबसे बड़ा चैलेंज है तो यही है कि बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, निशिकान्त दूबे, रघुवर दास आदि नेताओं को एकजुट होकर काम करने के लिए कैसे तैयार किया जाय। फिलहाल तो ऐसा होता दिख नहीं रहा, लेकिन शायद कोई चमत्कार हो जाय ।