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सिग्नल ऐप पर अमेरिकी सैन्य ऑपरेशन की योजना लीक, ट्रंप ने बताया मामूली ‘गड़बड़

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा टीम की लापरवाही को मामूली ‘गड़बड़’ बताया, डेमोक्रेट्स ने जांच की मांग की

वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा टीम की ओर से सिग्नल ऐप पर यमन में हौती विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य हमले की योजना साझा किए जाने की घटना को एक मामूली ‘गड़बड़’ करार दिया। इस ग्रुप चैट में गलती से एक पत्रकार को जोड़ दिया गया, जिससे यह संवेदनशील जानकारी लीक हो गई। डेमोक्रेट सांसदों ने इस लापरवाही को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया और इस मामले की गहराई से जांच करने की मांग की है।

कैसे हुआ सुरक्षा उल्लंघन?

रिपोर्ट्स के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज ने व्हाइट हाउस के 18 वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक ग्रुप चैट बनाई थी, जिसमें यमन में हौती विद्रोहियों पर संभावित हमले से संबंधित महत्वपूर्ण चर्चा हो रही थी। हालांकि, इस चैट में गलती से द अटलांटिक पत्रिका के प्रधान संपादक जेफरी गोल्डबर्ग को भी जोड़ दिया गया। इस गलती के कारण ऑपरेशन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी लीक होने की आशंका बढ़ गई है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज ने इस गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि व्हाइट हाउस के तकनीकी विशेषज्ञ इस बात की जांच कर रहे हैं कि पत्रकार की संपर्क जानकारी कैसे जुड़ गई। वॉल्ट्ज ने कहा, “हमने गलती की, लेकिन यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।” हालांकि, इस मामले ने व्हाइट हाउस की सुरक्षा नीतियों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या लीक हुई थी गोपनीय जानकारी?

व्हाइट हाउस ने दावा किया है कि इस ग्रुप चैट में कोई भी गोपनीय या अत्यधिक संवेदनशील जानकारी साझा नहीं की गई थी। हालांकि, द अटलांटिक की रिपोर्ट के अनुसार, इस ग्रुप चैट में हथियारों के प्रकार, लक्ष्यों और हमले के समय को लेकर विस्तृत चर्चा हुई थी। यदि यह जानकारी लीक होती, तो इससे अमेरिका की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती थी और इसके गंभीर परिणाम हो सकते थे।

डेमोक्रेट सांसदों ने इस घटना को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए इसकी जांच की मांग की है। सीनेट इंटेलिजेंस कमेटी की सुनवाई के दौरान डेमोक्रेट सीनेटर जॉन ओसॉफ ने इस लापरवाही को ‘शर्मनाक’ करार दिया और कहा कि यह प्रशासन की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ से पूछा, “क्या यह एक गंभीर गलती नहीं थी?” जिस पर रैटक्लिफ ने असहमति जताते हुए कहा कि इस मामले को अनावश्यक रूप से तूल दिया जा रहा है।

व्हाइट हाउस ने किया बचाव, लेकिन विरोध जारी

ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि यह कोई गंभीर उल्लंघन नहीं था और कोई भी गोपनीय जानकारी साझा नहीं की गई थी। हालांकि, इस मामले ने एक और विवाद को जन्म दे दिया है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने 2016 में हिलेरी क्लिंटन पर निजी ईमेल सर्वर के जरिए गोपनीय जानकारी भेजने के आरोप लगाए थे और उनके खिलाफ कड़ी सजा की मांग की थी।

इस मामले को लेकर पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी कटाक्ष करते हुए कहा, “क्या आप मजाक कर रहे हैं?” और इस खबर के साथ एक आँख घुमाने वाले इमोजी को जोड़ दिया।

सुरक्षा उल्लंघन की गहराई से जांच होगी?

डेमोक्रेट सांसदों ने मांग की है कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और यह पता लगाया जाए कि इस तरह की गलतियां भविष्य में दोबारा न हों। सीनेटर रॉन विडेन ने कहा कि व्हाइट हाउस अधिकारियों की मैसेजिंग एप्लिकेशन के उपयोग की ऑडिट होनी चाहिए।

एफबीआई निदेशक काश पटेल ने इस मुद्दे पर कहा कि वे हाल ही में इस मामले पर जानकारी प्राप्त कर चुके हैं और अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एफबीआई इस पर कोई औपचारिक जांच शुरू करेगी या नहीं। सीनेटर मार्क वार्नर ने चेतावनी देते हुए कहा, “यदि यह जानकारी लीक होती, तो अमेरिकी सैनिकों की जान जोखिम में पड़ सकती थी।”

ट्रंप प्रशासन पर उठ रहे सवाल

यह घटना ट्रंप प्रशासन के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो रही है, क्योंकि इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर्याप्त रूप से मजबूत है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस गलती को हल्के में लिया है, लेकिन इस मामले ने व्हाइट हाउस की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।

अब देखना यह होगा कि इस मामले की कितनी गहराई से जांच की जाती है और क्या प्रशासन भविष्य में ऐसे सुरक्षा उल्लंघनों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।

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