जब हम सब “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे में उलझे हुए थे,
तब कहीं झारखंड की गलियों में शबनम परवीन
डार्क वेब से जिहाद की ऑनलाइन क्लास चला रही थी।
उम्र? सिर्फ 20 साल।
काम? हिज्ब उत-तहरीर की हैंडलर।
लक्ष्य? देश तोड़ना, मजहब के नाम पर आग लगाना।
अब तो सवाल उठता है —
“ये कैसी शिक्षा ली थी इसने, कि किताब की जगह कट्टरता पढ़ी, और कलम की जगह बंदूक थामी?”
🔴 ATS का खुलासा:
-
मोबाइल से मिली ऐसी जानकारी कि SP तक सन्न रह गए।
-
डार्क वेब, हथियारों की डीलिंग, धार्मिक कट्टरता,
और युवाओं को भड़काने का पूरा मास्टरप्लान मोबाइल में था।
मतलब शबनम कोई मासूम लड़की नहीं,
बल्कि सोशल मीडिया पर घात लगाकर बैठी ‘जिहादी इंफ्लुएंसर’ थी।
🔥 लव जिहाद का लेवल अपग्रेड:
अब सिर्फ लड़कों से ही नहीं,
लड़कियों से भी जिहाद फैलवाया जा रहा है।
-
शबनम ने पहले अपने पति अयान को ब्रेनवॉश किया,
-
फिर उसके साथ मिलकर 15-20 साल के युवाओं को।
-
और फिर देश को जहर परोसने का टारगेट मिशन शुरू।
🧨 ‘बेटी’ शब्द का सबसे घटिया इस्तेमाल:
जब पुलिस ने गिरफ़्तार किया,
तो एक खास तबका तुरंत बोला:
“अरे, वो तो एक बच्ची है… औरत है…!”
वाह री इंसानियत!
जब यही औरत डार्क वेब से जिहाद फैलाए,
हथियारों की खरीद-फरोख्त करे,
युवाओं को उकसाए,
देशद्रोही साहित्य पढ़े और फैलाए,
तब भी तुम इसे मासूम कहोगे?
तो फिर कसाब भी बच्चा ही था!
🛑 अब सवाल विपक्ष से भी है:
ATS की रिपोर्ट के मुताबिक,
“शबनम का कुछ संपर्क विपक्षी नेताओं से भी हो सकता है।”
तो क्या कट्टरता के इस एजेंडे में कुछ नेता भी शामिल हैं?
क्या वोटबैंक की भूख इतनी गहरी है कि
देशद्रोहियों से भी हाथ मिलाया जा सकता है?
📜 साथ ही ज़ब्त हुए:
-
दो हाई-क्वालिटी हथियार
-
देशविरोधी साहित्य
-
हिंसक आंदोलन की स्क्रिप्ट
-
“शांति नहीं, दंगे चाहिए” की रणनीति
🤡 अब अगली बार जब कोई कहे – “इस्लाम खतरे में है”,
तो पूछिए –
“क्यों? क्योंकि 20 साल की शबनम जेल चली गई?”
या
क्योंकि अब देश जाग रहा है,
और हर नकाब के पीछे की हकीकत बेनकाब हो रही है?