
सुप्रीम कोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद की कथित हत्या के बहाने जजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से देश भर के जजों की सुरक्षा को लेकर हलफनामा दायर करने को कहा था। इसका जवाब देते हुए केन्द्र सरकार ने साफ कर दिया है कि जजों की सुरक्षा के लिए सीआइएसएफ (CISF) की तरह अलग से नेशनल लेवल सेक्यूरिटी फोर्स का निर्माण संभव नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया 10 दिन का समय
सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस बात पर नाराजगी जताई कि आंध्र प्रदेश , तेलंगाना और झारखण्ड जैसे राज्यों ने जजों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मांगे गये सवालों के जवाब नहीं दिए हैं. हालांकि झारखण्ड सरकार ने कुछ देर बाद अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को भेज दिया । मुख्य न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने न्यायाधीशों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए राज्यों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया।
झारखण्ड ने 16 अगस्त (सोमवार ) को ही भेज दी थी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद झारखंड सरकार ने राज्य के सभी जिलों के कोर्ट और जजों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिले के पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट देने को कहा था । निर्देश मिलते ही राज्य के करीब सभी जिलों के पुलिस पदाधिकारियों ने कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था समेत जजों की सुरक्षा को लेकर अपनी-अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजे । इसी के आलोक में राज्य सरकार ने 16 अगस्त, 2021 को अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. इस रिपोर्ट में पूरे कोर्ट परिसर, जज समेत आसपास की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने संबंधी निर्देश का उल्लेख किया गया है ।