मुंबई पुलिस का एक साधारण API (Assistant Police Inspector) के घर पैसे गिनने की मशीन मिलती है। उसके घर पर Scoda से लेकर Mercedes जैसी गाड़ियों की फौज खड़ी है । सचिन वाजे हिरासत में एक अपराधी को पीट-पीट कर मारने का आरोपी था, उसे निलंबित किया गया, वह नौकरी छोड़कर VRS लेना चाहता है, वह शिवसेना में शामिल होता है, लेकिन अचानक उसकी किस्मत पलट जाती है । महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार आने के साथ ही सचिन वाजे का निलंबन रद्द और वह मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी बन जाता है।
“शिवसेना का वो “बड़ा नेता” कौन ?
सचिन वाजे मराठी है, आपराधिक प्रवृत्ति का है, अब तक 62 एनकाउन्टर में उसका हाथ है। ऐसे दागी सहायक पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वझे पर उद्धव ठाकरे को इतनी मेहरबानी दिखाने की जरूरत क्यों थी ? और राज्य के सारे महत्वपूर्ण और खासकर विरोधियों को सबक सिखाने वाले मामले उसे ही क्यों सौंपे जा रहे थे? रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के लिए उसकी सेवाएं ली गईं। टीआरपी घोटाले की जांच भी उसे सौंपी गई। कंगना रनोट-रितिक रोशन का मामला भी उसके हवाले किया गया। अन्य हाई-प्रोफाइल मामले भी उसके पास पहुंचते रहे। अनुमान लगाइए कि ऐसा किसके इशारे पर हुआ होगा?
मुकेश अंबानी और शिवसेना के बड़े नेता की दुश्मनी
आरोप है कि शिवसेना का एक बड़ा नेता उद्योगपति मुकेश अंबानी पर अनाप-शनाप पैसे देने का आरोप लगा रहा था। जब मुकेश अंबानी ने उस तथाकथित बड़े नेता की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उसने दबाव बनाने के लिए ये सारी साज़िश रची। उस नेता ने मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच के अपने सबसे खास गुर्गे सचिन वाझे को इस काम में लगाया। लेकिन मुकेश अंबानी कोई कंगना राणावत या अर्णब गोस्वामी तो हैं नहीं, लिहाजा इस बार दांव उल्टा पड़ गया।
मनसुख हिरेन की मौत और NIA ने बिगाड़ दिया खेल
सचिन वाझे की planning जबरदस्त थी, लेकिन उसे और उसके Boss को अंदाजा नहीं था कि इतनी जल्दी इस मामले में NIA की Entry हो जाएगी। उपर से मनसुख हिरेन सारी सच्चाई बताने की जिद कर रहा था । एंटीलिया के बाहर विस्फोटक पाए जाने के मामले में भी सचिन वझे की एंट्री पाई गई। वह विस्फोटक लदी गाड़ी के मालिक मनसुख हीरेन को जानता था। मनसुख की मानें तो उनकी गाड़ी चोरी हो गई थी। कुछ दिनों बाद उनका शव पानी में मिला।पहले कहा गया कि उन्होंने आत्महत्या की है। फिर पता चला कि वह तो अच्छे तैराक थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बताया कि उनके मुंह में कपड़े ठूंसे गए थे और शरीर पर चोट के निशान भी थे। अब तो साफ हो गया है कि मनसुख के मुुंह में कपडा ठूंस कर उसे मारा गया और फिर जीते जी उसे खाई में फेंक दिया गया।
शिवसेना को बचाने के लिए मुंबई पुलिस कमिश्नर की बलि
महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक बात जो बार-बार कही जा रही है कि मुंबई पुलिस कमिश्नर परमजीत सिंह को सब पता था । सचिन वाझे सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करता था । लिहाजा खुद के दामन पर दाग लगता देख सरकार ने आनन-फानन में मुंबई पुलिस कमिश्नर को उनके पद से हटा दिया। आपको याद होगा कि परमजीत सिंह ने खुद Press conference कर अर्णब गोस्वामी के TRP घोटाले की बात बताई थी । यानि मुंबई पुलिस कमिश्नर परमजीत सिंह और सचिन वाझे तो सिर्फ हुक्म बजा रहे थे। इन दोनों की बलि चढ़ाकर कहीं उस बड़े नेता को बचाने की साजिश तो नहीं?