Tuesday 17th of June 2025 10:47:42 AM
HomeBreaking Newsनियोजन नीति पर भाजपा

नियोजन नीति पर भाजपा

रांची । झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषा और स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने के मुद्दे पर नया सियासी बखेड़ा शुरु हो गया है। विरोधी भाजपा और आजसू तो विरोध कर ही रहे हैं, कांग्रेस भी नई नियुक्ति नियमावली के विरोध मोें उतर आई है। कुल मिलाकर झामुमो और झारखंड नामधारी पार्टियां एक तरफ तो भाजपा-कांग्रेस-आजसू-राजद आदि दूसरी ओर नजर आ रहे हैं।

नियोजन नीति को लेकर भाजपा-झामुमो आमने-सामने
नियोजन नीति को लेकर भाजपा-झामुमो आमने-सामने

मूलवासी, आदिवासी और पिछड़े गरीब का सम्मान- झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमन्त सरकार के इस निर्णय से पूर्व की सरकार में नियुक्तियों में चले घालमेल पर विराम लग गया है । सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि हेमंत सरकार ने राज्य के मूलवासी, आदिवासी और जो पिछड़े गरीब हैं उनकी सम्मान की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया है । उन्होंने कहा कि जो सरकारी नौकरी कर रहे हों या निजी कंपनी में हों और राज्य से बाहर रह रहे हों तो उनके बच्चे चूंकि यहां के खतियानी मूलवासी हैं, आदिवासी हैं, दलित हैं या पिछड़ी जाति के हैं तो उनका हक नहीं मारा जायेगा ।

उर्दू को रखा लेकिन राजभाषा हिंदी को हटा दिया- भाजपा

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि राज्य सरकार ने मुख्य परीक्षा से हिंदी के विकल्प को समाप्त कर दिया है। यह न सिर्फ राजभाषा का अपमान है बल्कि इससे लाखों छात्रों पर भी असर पड़ेगा। उन्होने कहा कि  इससे पूर्व की नियमावली में राज्य स्तरीय मेंस के पेपर 2 में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के लिए हिंदी, अंग्रेजी एवं संस्कृत विषय का भी प्रावधान था। जो कि इस बार के नए नियमावली में उपरोक्त तीनों विषय को हटा दिया गया है। नई नियमावली में उर्दू को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में पेपर 2 में यथावत रहने दिया गया है जबकि उर्दू कोई क्षेत्रीय जनजातीय भाषा नहीं है। यह साफ दिखाता है कि राज्य सरकार बहुसंख्यक विरोधी मानसिकता से कार्य कर रही है और सिर्फ अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ऐसा कदम उठा रही है।

पुनर्निचार करे ङेमन्त सरकार- कांग्रेस

झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद सिंह ने कहा कि पलामू प्रमंडल उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के अंतर्गत कोडरमा, हजारीबाग, चतरा, बोकारो, धनबाद, संथाल परगना के साहेबगंज, गोड्डा, देवघर जिले में प्रमुखता से उपयोग किये जाने वाले भोजपुरी मगही अंगिका  भाषाओं को भी जेपीएसएससी में शामिल किया जाना चाहिए । राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि उक्त भाषाओं को शामिल नहीं करने पर उपरोक्त जिलों के छात्रों को चयन में समान अवसर नहीं प्राप्त हो सकेगा । राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि अभी तक क्षेत्रीय भाषाओं की अनिवार्यता नहीं नही होने के कारण अधिकांश छात्रों ने हिन्दी भाषा में पढ़ाई की है इसलिए सरकार को इसपर पुनर्विचार करना चाहिए।

भोजपुरी-मगही-मैथिली और अंगिका जैसी भाषाओं को भी शामिल किया जाय- दीपिका पांडे सिंह

सरकार के फैसले से आम युवाओं में निराशा- दीपिका पांडे सिंह
सरकार के फैसले से आम युवाओं में निराशा- दीपिका पांडे सिंह

महागामा से कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडे सिंह ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नाम चिट्ठी में लिखा है कि क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में हिंदी, अंगिका, मैथिली मगही, भोजपुरी आदि को शामिल नही करने के कारण राज्य के युवाओं में घोर निराशा है । इस विषय पर सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक  सरकार के इस निर्णय की आलोचना हो रही है। मैं मांग करती हूं कि क्षेत्रीय भाषाओं में इन भाषाओं को भी शामिल किया जाए। ऐसा नहीं करने से झारखंड के हजारों युवाओं का भविष्य प्रभावित होगा।

दीपिका पांडे सिंह ने लिखा है कि कर्मचारी चयन आयोग के परीक्षा के लिए जो एक बाध्यता रखी गयी है कि सामान्य कोटि के उम्मीदवारों को मैट्रिक झारखंड के किसी स्कूल से उतीर्ण होना जरूरी है इस प्रावधान पर विचार होना चाहिए।  राज्य के अधिसंख्य युवाओं को ध्यान में रखकर सहुभुतिपूर्वक बिचार करते हुवे वर्णित भाषाओ को शामिल करने की दिशा में यथोचित निर्णय लेना आवश्यक है ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments