रांची की एक स्याह रात ने एक मासूम बच्ची की जिंदगी पर ऐसा जख्म दिया, जिसे वक्त भी शायद कभी नहीं भर पाएगा। शुक्रवार की रात, लालपुर थाना क्षेत्र के एक बार में कुछ दोस्त जश्न मनाने गए थे। हंसी-ठिठोली, बातें और खिलखिलाहटों के बीच किसी को अंदाजा भी नहीं था कि कुछ ही घंटों में एक नाबालिग की दुनिया हमेशा के लिए बदल जाएगी।
लौटते वक्त, लालपुर चौक के पास अचानक एक हादसा हुआ—एक युवक सड़क पर गिर पड़ा, खून बहने लगा। दोस्त घबरा गए, उसे अस्पताल ले जाने की जल्दी में सबकुछ भूल गए। लेकिन इसी अफरा-तफरी में एक दरिंदा मौके की तलाश में था। नाबालिग लड़की जो सहमी हुई थी, उसे बहलाकर, घर छोड़ने का झांसा दिया। वह भरोसा कर बैठी, यह नहीं जानती थी कि उसके साथ अब तक की सबसे बड़ी बेवफाई होने जा रही थी।
लड़की को घर पहुंचाने के बजाय, वह दरिंदा उसे एक होटल में ले गया। होटल के कमरे में उसके मासूम सपनों को कुचल दिया गया। उसकी चीखें कमरे की दीवारों में घुटकर रह गईं, उसकी रुलाई सुनने वाला कोई नहीं था। उस रात उसके भरोसे का, उसकी मासूमियत का, उसके बचपन का खून हुआ।
शनिवार को जब वह टूटी हुई हालत में थाने पहुंची, तो उसकी कांपती आवाज़ ने पुलिस को भी झकझोर कर रख दिया। पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन क्या यह गिरफ्तारी उस नाबालिग की टूटी हुई आत्मा को वापस जोड़ पाएगी? क्या वह फिर से पहले की तरह जी पाएगी?
रांची की इस दरिंदगी ने फिर एक सवाल खड़ा कर दिया है—क्या हमारी बेटियां कभी सुरक्षित होंगी? या फिर हर रात कोई मासूम किसी दरिंदे की हवस का शिकार होती रहेगी?