कुंडा के विधायक राजा भैया ने महाकुंभ में दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में संबोधन के दौरान हिंदू समाज को आत्मरक्षा और अस्तित्व पर विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा, “शास्त्रों से रक्षा नहीं हो सकती। संस्कृतियों की रक्षा के लिए शस्त्र आवश्यक हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब हिंदू समाज ने अपनी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया, उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा।”
राजा भैया ने उदाहरण देते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय को एक लुटेरे ने खत्म कर दिया, और महीनों तक वहां की पुस्तकें जलती रहीं। भगवान राम ने भी वनवास के समय अपने अस्त्र-शस्त्र साथ रखे। शिवजी के त्रिशूल और हनुमान जी की गदा को प्रतीक बताते हुए उन्होंने कहा कि शस्त्र केवल आत्मरक्षा और संस्कृति की रक्षा के लिए होते हैं।
उन्होंने हैदराबाद के एक नेता के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि अगर सुरक्षा बल हटा लिए जाएं, तो हिंदू समाज को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। “यह विचारणीय है कि हमारे पास न तो शस्त्र संचय है और न ही हम वंश वृद्धि पर ध्यान दे रहे हैं,” उन्होंने कहा।
राजा भैया ने हिंदू समाज की बुराइयों पर प्रहार करते हुए जागरूकता और एकजुटता की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समाज को अपनी संस्कृति, अस्तित्व और भविष्य की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी।