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रघुवर ने अपने ही साहू समाज के 100 से ज्यादा युवकों को नक्सली बताकर जेल भिजवाया

रघुवर दास ने अपने ही साहू समाज के 100 से ज्यादा युवकों को जेल भिजवाया- सुप्रियो
रघुवर दास ने अपने ही साहू समाज के 100 से ज्यादा युवकों को जेल भिजवाया- सुप्रियो

हेमंत सरकार की नई नियुक्ति नियमावली को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा आदिवासी-मूलवासी विरोधी बताने पर झामुमो की ओर से जबरदस्त प्रतिवाद किया गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर दास को अगर याद नहीं है तो उनको कुछ बातें याद दिला दूं । 514 आदिवासी-मूलवासी युवकों को नक्सली बताकर फर्जी सरेंडर करवाने का खेल किया गया था इस राज्य में। दिग्दर्शक नाम की संस्था के द्वारा। 2014 में तत्कालीन हेमंत सरकार ने इसपर सीबीआई जांच की अनुशंसा की, लेकिन सरकार बदल गई और फिर रघुवर दास मुख्यमंत्री बन गए।

फर्जी सरेंडर और बकोरिया कांड के बहाने रघुवर पर हमला

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उस वक्त सीआरपीएफ के आइजी एमवी राव ने इसपर बहुत सनसनीखेज खुलासे किए थे। इसके साथ ही सुप्रियो भट्टाचार्य ने बकोरिया कांड की भी याद दिलाई। उन्होने कहा कि पांच आदिवासी-मूलवासी युवकों की हत्या कर दी गई थी ।  लेकिन रघुवर दास का दर्द उस वक्त आदिवासी-मूलवासियों के लिए क्यों नहीं छलका ।

अपने ही साहू समाज के 100 लड़कों को रघुवर दास ने जेल भिजवाया

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिन 514 आदिवासी-मूलवासी लड़कों को नक्सली बताकर फर्जी सरेंडर करवाया गया, उनमें 100 के ज्यादा साहू लड़के थे। रघुवर दास खुद को साहू समाज का नेता बताते हुए झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ तक रैलियों को संबोधित करते चलते हैं, लेकिन क्या वो जवाब देंगे कि रघुवर दास ने अपने ही समाज के 100 से ज्यादा लोगों को फर्जी नक्सली बताकर जेल में डाल दिया ।

हिंदी के नाम पर फैलाया जा रहा है भ्रम

सुप्रियो भट्टाचार्य ने रघुवर दास को ‘ज्ञानपापी’ बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर बैठ चुका व्यक्ति हिंदी के नाम पर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होने बताया कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा है, वह क्षेत्रीय भाषा नहीं है । हेमंत सरकार ने जो नई नियुक्ति नियमावली निकाली है, वो क्षेत्रीय भाषाओं के लिए है।

बाहरी ताकतों को झारखण्ड में पैर नहीं जमाने देंगे

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर दास के जमाने में 927 संस्कृत टीचरों की नियुक्ति हुई थी, उनमें से सिर्फ सात संस्कृत शिक्षक झारखंडी थे। बाकि 920 शिक्षक बनारस के या बिहार के थे। उन्होने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार ने ऐसे फिल्टर लगाए हैं कि अगर कोई बाहरी यहां चढञने की कोशिश करेगा तो वह ऐसा फिसलेगा कि यहां के खदान उसका स्वागत करेंगे।

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