नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को डराने और संविधान के 74वें संशोधन के उल्लंघन का लगाया आरोप
झारखण्ड के नगर निकायों के जन प्रतिनिधियों और राज्य सरकार के बीच विवाद अब केन्द्र सरकार के दर तक जा पहुचा है। बुधवार को रांची की मेयर आशा लाकड़ा के नेतृत्व में झारखण्ड के कई नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों ने दिल्ली में केन्द्रीय शहरी आवास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने कहा कि झारखण्ड सरकार संविधान के 74वें संशोधन को नजरअंदाज कर अपनी तरफ से मनमाने फैसले ले रही है. रांची मेयर आशा लाकड़ा ने कहा कि महाधिवक्ता की राय के बहाने नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों को डराने का प्रयास राज्य सरकार कर रही है।
मेयर-डिप्टी मेयर के अधिकारों को खत्म करने का प्रयास
रांची की मेयर आशा लाकड़ा ने यह भी कहा कि हाल ही में झारखण्ड सरकार ने कुछ ऐसे निर्णय लिए हैं जिनके तहत वो जब चाहे मेयर या डिप्टी मेयर को अपने पद से हटा सकती है। यह मेयर और डिप्टी मेयर के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। जिस जनता के वोट से चुनकर राज्य सरकार आई है, उसी जनता ने मेयर और डिप्टी मेयर को भी चुना है। संविधान के 74वें संशोधन में मेयर-डिप्टी मेयर और नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का स्पष्ट उल्लेख है ।
महाधिवक्ता के मंतव्य पर संविधान विशेषज्ञों से लेंगे राय
रांची की मेयर आशा लाकड़ा ने कहा कि महाधिवक्ता ने नगर विकास विभाग को यह राय दी है कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 के तहत मेयर को निगम परिषद की बैठक आहुत करने, बैठक की तिथि निर्धारित करने व परिषद की बैठक में शामिल किए जाने वाले एजेंडा को निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है । जबकि ये सभी अधिकार नगर आयुक्त को हैं . हम इस मामले में दूसरे कानूनविदों और संविधान विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री को यह भी बताया कि महाधिवक्ता ने झारखंड नगरपालिका में विभिन्न धाराओं के तहत प्रदत्त शक्तियों को गलत तरीके से परिभाषित करने का काम किया है. जबकि संविधान के 74वें संशोधन के तहत नगर निकायों, नगर परिषद व नगर पंचायत को सशक्त करने के लिए मेयर/अध्यक्ष को कई शक्तियां प्रदान की गई हैं ।