सिमरिया/गीतांजलि । सिमरिया अनुमंडल के अधीन आने वाले टंडवा इंडस्ट्रीयल हब के रूप में पूरे देश मे मशहूर हो चुका है। लोगों को बड़ी आशा थी कि कोलयरी चालू होने के बाद उन्हें रोजगार मिलेंगें।विस्थापितों को नौकरी और मुआवजा मिलेगा। पर आम्प्रपाली और मगध कोल परियोजना पर लोगों को जितनी उम्मीदें थी वो अब तक पूरी नहीं हो सकी। भले ही इन परियोजनाओं का मुनाफा एक हजार करोड़ तक पहुंच गया हो।
टंडवा की तीन बड़ी कोल परियोजनाओं से लगभग 20 गांव विस्थापित हुए हैं।पर लोगों को न मुआवजा मिला और न ही नौकरी।टंडवा के उड़सु गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक राजकुमार दास कहते हैं कि मुआवजा के लिए वे पिछले कई वर्षों से इंतजार कर रहे हैं। पर कोल परियोजना प्रबंधन इस दिशा में गंभीरता से सोच ही नहीं रहा है। प्रबंधन और प्रसाशन इस मामले में अगर गंभीर हो जाए तो लोगों के दुख दर्द दूर हो जाएंगे।
बहरहाल टंडवा के कई गांवों के लोगों को विस्थापन के बाद मुआवजा और नौकरी मिलने की उम्मीद है। पर सिमरिया के लोगों को सिर्फ कोयला ढोने वाले वाहनों से सिर्फ धूल हिस्से में आ रहा है। प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों को सांस की तकलीफ और त्वजा में एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो रही है।
हजारीबाग के चिकित्सक डॉ. सुदीप कहते हैं कि यह समस्या हवा में बढ़ रहे प्रदूषण की मात्रा के कारण ही हो रहा है। प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए सिमरिया से बाईपास रोड का निर्माण के लिए कार्ययोजना भी तैयार कर ली गई थी। निविदा भी निकला था, पर बाद में इसे रद्द कर दिया गया क्योंकि बजट छोटा पड़ गया। बाईपास रोड नहीं होने के कारण सड़क दुर्घटना में अब तक मरने वालों का आंकड़ा सौ से भी पार कर गया।यानी सिमरिया के लोगों के लिए यह परियोजना मुसीबत लेकर आया है।
विस्थापितों को नौकरी और मुआवजा मेरी पहली प्राथमिकता:-सांसद
“सुनील सिंह ने कहा कि आम्रपाली, मगध और संघमित्रा कोल परियोजना के विस्थापितों को नौकरी और मुआवजा दिलाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।सांसद कहा कि वे विस्थापितों का दर्द भली भांति समझते हैं।जमीन का सत्यापन की प्रक्रिया में वे तेजी लाने का पूरा प्रयास करेंगें ताकि प्रभावित लोगों के साथ पूरी न्याय हो सके।“