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हजारीबाग में सियासत गर्म : सांसद ने बताए वनाधिकार, विधायक प्रतिनिधियों का बहिष्कार

उज्ज्वल दुनिया, (कटकमदाग)हजारीबाग। हजारीबाग में सोमवार को अचानक उस वक्त सियासी पारा गर्म हो गया, जब पश्चिमी वन प्रमंडल के सदर वन प्रक्षेत्र अंतर्गत कटकमदाग प्रखंड स्थित नावाडीह में 72वें वन महोत्सव का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा ने जहां लोगों को वनाधिकार के बारे में खुलकर बताया, वहीं सदर विधायक प्रतिनिधि और वन सुरक्षा समिति ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया।

दरअसल विशिष्ट अतिथियों सदर विधायक प्रतिनिधि दिनेश सिंह राठौर, किशोरी राणा, इंद्रनारायण कुशवाहा आदि को मंच से बोलने का मौका नहीं दिया गया।

वहीं वन सुरक्षा समिति के सदस्य और प्रखंड प्रमुख ने वन पदाधिकारियों पर नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।

महोत्सव में मुख्य अतिथि आरसीसीएफ जेपी केशरी और पश्चिमी वन प्रमंडल के डीएफओ रवींदनाथ मिश्रा के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ। साथ में प्रशिक्षु आईएफएस शैलेन्द्र कुमार सिंह, विधायक के मीडिया प्रभारी रंजन चौधरी आदि उपस्थित थे।

 

मौके पर सांसद जयंत सिन्हा ने वनाधिकार, वन संरक्षण आदि पर विचार रखते हुए पौधरोपण करते हुए उस पर जोर दिया।

वहीं सदर विधायक प्रतिनिधि को भाषण के लिए मंच नहीं दिए जाने के कारण विधायक समर्थकों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।

हालांकि मंच संचालन कर रहे वनकर्मी की इस भूल के लिए डीएफओ ने खेद प्रकट किया।

इधर स्थानीय वन सुरक्षा समिति के सदस्य सदानंद ओझा ने वन विभाग पर समिति के सदस्यों को नजरअंदाज कर उन्हें महत्त्व नहीं देने का आरोप लगाया।

वहीं प्रखंड प्रमुख अशोक यादव ने भी कार्यक्रम का विरोध करते हुए कहा कि उनके ही प्रखंड क्षेत्र में वन विभाग का कार्यक्रम हुआ, लेकिन उन्हें इसकी सूचना तक नहीं दी गई।

पूरे घटनाक्रम पर नाराज सदर विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि वन महोत्सव महज औपचारिकता कर समाप्त कर दिया गया।

एक सरकारी अधिकारी की ओर से प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

कार्यक्रम के दौरान स्थानीय वन सुरक्षा समितियों की अवहेलना किया जाना, प्रखंड के प्रमुख तक को आमंत्रित नहीं किया जाना और कायक्रम में उपस्थित विधायक प्रतिनिधि को जनता के बीच बोलने का अवसर नहीं दिया जाना, वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी को स्पष्ट दर्शाता है।

क्या वन विभाग से आयोजित ऐसे कार्यक्रम और प्रोटोकॉल का इस प्रकार ध्यान नहीं रखे जाने से उद्देश्य की पूर्ति हो पाएगी।

वन विभाग और वन अधिकारियों की इस कार्यशैली से वनों की सुरक्षा कतई संभव नहीं हो सकेगी।

विधायक ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को राजनीति से बचना चाहिए। हेमंत सरकार पर नौकरशाही हावी है।

सूबे की सरकार को तत्काल नौकरशाही पर लगाम लगाते हुए उन्हें प्रोटोकॉल का पाठ अवश्य पढ़ाना चाहिए ताकि जनता और जनप्रतिनिधियों का सम्मान बिना किसी भय और राजनीति से ऊपर उठकर एक नौकरशाह के रूप में कर सकें।

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