पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (PMCH) ने अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं। इस संस्थान ने दशकों से लाखों लोगों का इलाज किया है, लेकिन इसकी ऐतिहासिक घटनाओं में से एक वह रात थी, जब महात्मा गांधी अपनी पोती मनुबेन गांधी को लेकर यहां पहुंचे थे।
महात्मा गांधी और 15 मई 1947 की ऐतिहासिक रात
15 मई 1947 की रात बिहार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। उस समय बिहार और कोलकाता दोनों जगह हिंदू-मुस्लिम दंगे चल रहे थे। महात्मा गांधी को जल्द ही कोलकाता जाना था, लेकिन इसी बीच उनकी पोती मनुबेन को अचानक तेज पेट दर्द होने लगा। उन्हें लगातार उल्टियां हो रही थीं और उनका शरीर बुखार से तप रहा था। गांधीजी ने तुरंत डॉक्टरों को बुलाया, जिन्होंने जांच के बाद बताया कि मनुबेन को अपेंडिसाइटिस है और उन्हें तुरंत सर्जरी की जरूरत है।
PMCH में गांधीजी की मौजूदगी
महात्मा गांधी ने मनुबेन को बांकीपुर स्थित पटना मेडिकल कॉलेज (PMCH) पहुंचाया। उस समय यह अस्पताल बिहार के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक था। अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर द्वारका प्रसाद भार्गव ने जांच के बाद बताया कि ऑपरेशन करना अनिवार्य है। गांधीजी ने ऑपरेशन के लिए सहमति दे दी, लेकिन जब मनुबेन को ऑपरेशन थिएटर ले जाया गया, तो अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों को आश्चर्य हुआ जब गांधीजी भी अंदर जाने की जिद करने लगे।
सामान्यत: मरीज के परिजनों को ऑपरेशन थिएटर के अंदर जाने की अनुमति नहीं होती, लेकिन गांधीजी के विशेष अनुरोध पर उन्हें मास्क पहनाकर अंदर जाने दिया गया। गांधीजी ने मनुबेन का हाथ पकड़कर कहा, “मन में राम नाम का जाप करना, तुम्हें कुछ पता नहीं चलेगा।”
गांधीजी ने अपनी आंखों से देखा ऑपरेशन
रात 10:30 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ, और महात्मा गांधी पूरे समय वहीं मौजूद रहे। डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक मनुबेन का ऑपरेशन किया। जब उन्हें रिकवरी वार्ड में शिफ्ट किया जाने लगा, तो डॉक्टरों ने उन्हें एक अलग कमरे में ले जाने का सुझाव दिया, ताकि वह आराम कर सकें और भीड़ से दूर रहें।
लेकिन गांधीजी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने कहा, “यह गरीब की लड़की है। गरीबों की जैसी व्यवस्था होती है, उसे भी वैसी ही होनी चाहिए।” गांधीजी की इस जिद के आगे डॉक्टरों को झुकना पड़ा, और मनुबेन को अन्य मरीजों के साथ ही रखा गया।
गांधीजी की डायरी में दर्ज यह रात
महात्मा गांधी ने इस पूरी घटना का जिक्र अपनी डायरी में भी किया। अगले दिन सुबह की प्रार्थना सभा में उन्होंने इस घटना का उल्लेख किया और बताया कि कैसे उन्होंने पूरी प्रक्रिया को अपनी आंखों से देखा था।
गांधीजी हर दिन शाम को मनुबेन से मिलने जाते थे और उनका हालचाल लेते थे। इस दौरान वह अन्य मरीजों और अस्पताल कर्मचारियों से भी बातचीत करते थे।
PMCH का 100 सालों का गौरवशाली इतिहास
पटना मेडिकल कॉलेज की स्थापना 1925 में “प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज” के रूप में की गई थी। 2025 में इस अस्पताल ने अपने 100 साल पूरे कर लिए हैं। इसने न केवल लाखों लोगों का इलाज किया है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और कई ऐतिहासिक घटनाओं का भी साक्षी रहा है।
महात्मा गांधी की मनुबेन के इलाज से जुड़ी यह घटना न केवल इस अस्पताल के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक कहानी है। यह दर्शाता है कि कैसे एक महान नेता ने अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और आम जनता की तरह ही अपने परिवार के सदस्यों का इलाज करवाया।
आज PMCH 100 साल पूरे कर चुका है, लेकिन उसकी दीवारों में अब भी उन ऐतिहासिक पलों की गूंज सुनाई देती है, जब गांधीजी वहां एक मरीज के अभिभावक के रूप में आए थे और अपनी पोती के ऑपरेशन के दौरान पूरे समय वहां मौजूद रहे थे।