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पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा ने ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ में द्वीप राष्ट्र की अहम भूमिका को मजबूत किया: राष्ट्रपति कार्यालय

कोलंबो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा ने भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ और ‘महासागर (MAHASAGAR) विजन’ में श्रीलंका की महत्वपूर्ण भूमिका को और सुदृढ़ किया है। यह बयान श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके के कार्यालय की ओर से रविवार को जारी किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपनी “अत्यंत सफल” यात्रा पूरी की, जिसमें उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ रक्षा, ऊर्जा और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर भी देखे।

यह श्रीलंका का मोदी का 2015 के बाद चौथा दौरा था, जो राष्ट्रपति डिसानायके के निमंत्रण पर हुआ। दिलचस्प बात यह रही कि राष्ट्रपति बनने के बाद डिसानायके की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा भारत रही थी।

राष्ट्रपति कार्यालय के बयान में कहा गया,

“पीएम मोदी की यात्रा ‘सदियों पुरानी मित्रता, समृद्ध भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता’ थीम को दर्शाती है और भारत-श्रीलंका के बीच बहुपक्षीय साझेदारी को गहराई देती है।”

इस यात्रा से आर्थिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को भी बल मिला है और दोनों देशों के बीच विकास की साझी राह को मजबूती मिली है।

आध्यात्मिक जुड़ाव और ऐतिहासिक स्थलों का दौरा:
भारत लौटने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अनुराधापुरा के पवित्र ‘जया श्री महा बोधि मंदिर’ में पूजा अर्चना की। यह वही पवित्र बोधि वृक्ष है जिसे सम्राट अशोक की पुत्री संघमित्रा ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत से लंका लाया था।

उन्होंने मुख्य भिक्षु पालेगामा हेमरतन नायक थेरा से मुलाकात कर सौहार्दपूर्ण बातचीत की और बताया कि 1960 के दशक में गुजरात में खुदाई के दौरान बुद्ध की पवित्र अस्थियाँ (relics) मिली थीं। उन्होंने इन अस्थियों को श्रीलंका में प्रदर्शित करने की संभावना पर भी चर्चा की।

बोधगया को आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के अनुरोध पर प्रधानमंत्री मोदी ने आश्वस्त किया कि वे राष्ट्रपति के साथ बातचीत कर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगे।

रेल परियोजनाओं का उद्घाटन:
मोदी और डिसानायके ने संयुक्त रूप से उन्नत उत्तर रेलवे लाइन (Maho से Omanthai) और अनुराधापुरा रेलवे स्टेशन में सिग्नल प्रणाली का उद्घाटन किया।

  • Maho–Omanthai रेलवे लाइन को भारत की क्रेडिट लाइन से 91.27 मिलियन USD की लागत से विकसित किया गया।

  • रेलवे सिग्नल प्रणाली को 14.89 मिलियन USD की सहायता से भारत सरकार ने वित्तपोषित किया।

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