उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पार्टी आलाकमान की नहीं सुनते । अबतक ये सिर्फ आरोप थे, लेकिन अब यूपी बीजेपी के ट्विटर हैंडल और यूपी सरकार के विज्ञापनों से मोदी-अमित शाह की तस्वीरों का हटना काफी कुछ इशारा कर रहा है। क्या अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच खिंची तलवारें म्यान में वापस जाने को तैयार नहीं?
वसुंधरा राजे के बाद मोदी-अमित शाह को चैलेंज करने वाले दूसरे क्षत्रप
योगी आदित्यनाथ और अमित शाह के बीच रिश्ते इतने खराब हो चुके हैं कि दोनों के बीच फोन पर भी बातचीत बंद है । योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर न तो अमित शाह ने ट्वीट किया न ही पीएम मोदी ने । हंगामा मचने पर पार्टी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए एक अदने से प्रवक्ता से कहलवाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने जन्मदिन पर योगी आदित्यनाथ को फोन कर बधाई दी थी, लेकिन इसकी पुष्टि न दिल्ली से की गई, न ही लखनऊ से ।
RSS के दबाव में मुख्यमंत्री बने थे योगी आदित्यनाथ
अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ही हो गई थी । बीजेपी के अध्यक्ष रहते अमित शाह ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान ताबड़तोड़ रैलियां की थी, जबकि जानबूझकर योगी आदित्यनाथ की रैली कम रखी गई। चुनाव बीत जाने के बाद मुख्यमंत्री के लिए अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की पहली पसंद मनोज सिन्हा थे । उन्हे अमित शाह ने मैसेज भी भिजवाया था कि शपथ के लिए तैयार रहें। लेकिन आखिरी वक्त पर RSS और योगी आदित्यनाथ ने मिलकर बाजी पलट दी ।
अमित शाह की बजाय राजनाथ-गडकरी के करीब आए योगी
कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ ने अमित शाह और पीएम मोदी की जोड़ी द्वारा बार-बार किए गए अपमान को दिल पर ले लिया। पांच साल तक उन्होंने पूरे हनक के साथ शासन चलाया और इस बीच अमित शाह को पूरी तरह इग्नोर करते रहे । यूपी बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि इस काम में योगी का साथ दिया राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की यूपी ईकाई ने । दरअसल, संघ भाजपा पर मोदी-अमित शाह की जोड़ी के एकाधिकार के खिलाफ रहा है।
मोदी के बाद “कौन” की लड़ाई
अमित शाह और योगी आदित्यनाथ दोनों खुद को अगले प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी का पूरा सपोर्ट अमित शाह के प्रति दिखता है, वहीं योगी की नजदीकी गडकरी, राजनाथ सिंह और संघ की यूपी यूनिट के साथ है । योगी को कंट्रोल करने के लिए पीएम मोदी ने पूर्व नौकरशाह और अपने विश्वस्त ए. के. शर्मा को पार्टी ज्वाइन करवाकर लखनऊ भेजा । पीएम की मंशा शर्माजी को उप-मुख्यमंत्री या गृहमंत्री बनवाकर योगी के पर काटने की थी। लेकिन फिलहाल तो ऐसा होता नहीं दिख रहा।
प्रधानमंत्री मोदी को भी चैलेंज
पिछले 10 सालों में वसुंधरा राजे के बाद योगी दूसरे ऐसे क्षत्रप हैं, जिन्होंने अमित शाह और मोदी की जोड़ी को चैलेंज करने की हिम्मत दिखाई है । कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कल इशारा दिया है कि वो तीसरे नंबर बागी हो सकते हैं। सुनने में तच यह भी आ रहा है कि रमन सिंह और शिवराजसिंह चौहान भी सही मौके की तलाश में हैं। ऐसे में मोदी अगर अमित शाह के प्रति अपनी आसक्ति पर काबू नहीं पाते, तो 2024 से पहले नये घमासान के लिए तैयार रहें। इसका असर झारखंड पर भी होगा क्योंकि अर्जुन मुंडा राजनाथ सिंह के करीबी हैं, तो रघुवर दास अमित शाह के ।