पिछले कुछ दिनों में केरल कांग्रेस के अंदर हुए इस्तीफे पर गौर कीजिए । पीसी चाको (PC Chako) , पबदलम प्रभाकरन (Pabdalam Prabhakaran) और विजयन थॉमस (Vijayan Thomas) । ये तीनों केरल कांग्रेस के बड़े चेहरे हैं । पिछले साल केरल कांग्रेस में विभाजन के बाद बड़ी संख्या में कांग्रेस (मणि) के साथ ईसाईयों का जाना और अब इस साल बड़े ईसाई नेताओं का पार्टी छोड़ने के पीछे वहां ईसाई समुदाय के अंदर चल रही खदबदाहट है ।
केरल की राजनीति और Christian
केरल में ईसाईयों की जनसंख्या कुल आबादी का 18.38% है । वे केरल की 33 सीटों पर जीत-हार को प्रभावित करते हैं । मध्य केरल के एर्नाकुलम (Ernakulam) , कोट्टायम (Kottayam) , इडुक्की (Idukki) और पथन्नमथिट्टा (Pathanamthitta) जिले में इनका प्रभाव है । उत्तर भारत के नजरिए से केरल की ईसाई आबादी के राजनीतिक रुझान को देखने से राजनीतिक विश्लेषकों को धोखा खाना पड़ सकता है ।
उत्तर भारत के ईसाइयों को पारंपरिक रूप से कांग्रेस का समर्थक माना जाता है । वे सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी को ईसाई मानते हैं । लेकिन केरल की स्थिति थोड़ी अलग है। वहां से बड़ी संख्या में ईसाई आबादी अरब देशों में रहती है । उनके लिए यूरोप और अरब के मुसलमानों के बीच रिश्ते ज्यादा महत्वपूर्ण है । केरल में “Love Jihad” उनके लिए गंभीर खतरा है और वहां मुसलमान बनाव ईसाई की राजनीति चरम पर है ।
केरल की राजनीति में क्या चल रहा है?
केरल कांग्रेस (M) खुद को ईसाईयों का प्रतिनिधि बताती है । kerala Congress सबसे बड़ी Christian पार्टी है । पिछले 40 सालों से Kerala Congress (M) कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन UDF के साथ थी । फिलहाल K.M. Mani के बेटे Jose K. Mani केरल कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और उन्होंने UDF से अपना नाता तोड़ कर लेफ्ट गठबंधन वाले LDF के साथ जाने का फैसला किया है । केरल कांग्रेस को LDF गठबंधन के अंदर 25 सीटें दी गई हैं । इसमें पथन्नमथिट्टा (Pathanamthitta) की Ranni सीट भी है, जिसपर लेफ्ट गठबंधन पिछले 25 सालों से जीतती आ रही थी ।
Orthodox और Jacobites के बीच ईसाई मतों का बंटवारा
2017 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया जिसके तहत बड़ी संख्या में Jacobite की परिसंपत्तियों , जैसे चर्च और कब्रिस्तान को orthodox खेमें को देने का आदेश दिया है । Jacobites को डर है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उनके चर्च और कब्रिस्तान orthodox के पास चले जाएंगे । Jacobites का केरल की 8-10 सीटों पर प्रभाव है ।
दरअसल, orthodox Christians और Jacobites को आसान शब्दों में आप उत्तर भारत के सवर्ण और दलित के रुप में देख सकते हैं । orthodox खुद को Upper Caste मानते हैं, आर्थिक रूप से संपन्न हैं और Jacobites के यहां शादी नहीं करते । हाल ही में हुए local body elections में Jacobites ने लेफ्ट का समर्थन किया था । पीसी चाको Jacobites ईसाई समुदाय से आते हैं ।
Orthodox Christians और हिंदू वोटरों की एकजुटता
पिछले कई वर्षों से BJP ये प्रयास कर रही है कि orthodox Christians और सवर्ण हिंदुओं को एक मंच पर लाया जाए । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केरल बीजेपी ने खुलकर orthodox का साथ दिया । बीजेपी नेताओं न कई विवादित कब्रिस्तान और चर्च की जमीन को orthodox को दिलवाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया । Chengannur विधानसभा क्षेत्र के लगभग 1000 साल पुराने चर्च को ढहने से BJP-RSS नेताओं ने बचाया था, इसके बदले orthodox ईसाईयों ने पंचायत चुनावों में BJP को समर्थन देने की घोषणा की थी । नतीजा, यहां से भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई ।
PM Modi के साथ तीन बार मुलाक़ात
अपने कार्यकाल के दौरान केरल के orthodox Christians संगठनों के साथ प्रधानमंत्री तीन बार मिल चुके हैं । अमित शाह और जेपी नड्डा के केरल दौरे पर भी orthodox Christians की प्रतिनिधि संस्था के साथ दोनों नेताओं की मुलाक़ात हुई । लेकिन Malankar Orthodox Syrian Church के अलावा किसी ने खुलकर भाजपा को समर्थन देने का एलान नहीं किया है ।