
झारखण्ड विधानसभा के अंदर अलग से नमाज रूम का आवंटन हो या नहीं, अब इसका फैसला विधानसभा की कमेटी करेगी। इस समिति में सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे । विधानसभा समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर को बताएगी और उसी आधार पर स्पीकर फैसला करेंगे कि विधानसभा भवन में नमाज के लिए अलग से कमरा होना चाहिए या नहीं।
सरफराज अहमद ने रखा प्रस्ताव

विधायक सरफराज अहमद से कहा कि पिछले तीन-चार दिनों के अंदर झारखण्ड में जो कुछ हुआ वो हम सबने देखा है। ऐसा लगता है कि इस राज्य में धार्मिक उन्माद पैदा करने की कोशिश की जा रही है जो किसी भी प्रकार से राज्य अथवा यहां के लोगों के लिए ठीक नहीं है। स्पीकर ने परंपरा का हवाला देते हुए एक साफ जगह नमाज अदा करने के लिए दी थी । बाबूलाल मरांडी जब राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे, तब उन्होने भी बिहार के जमान से चली आ रही ये परंपरा कायम रखी थी। लेकिन अब कुछ दलों को इससे आपत्ति है तो फिर इस विवाद के समाधान का एक ही उपाय है कि एक विधानसभा की कमेटी बनाई जाय, वो हफ्ते-दस दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दे और फिर स्पीकर इस बात का फैसला करें कि हमारे जो अल्पसंख्यक स्टाफ हैं, उनके नमाज पढ़ने के लिए कोई जगह होनी चाहिए या नहीं ।
बाबूलाल मरांडी ने जताई आपत्ति

सरफराज अहमद की बात पर आपत्ति जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि चूंकि सरफराज अहमद ने मेरा नाम लिया है, इससे मुझे भी बोलने का मौका मिलना चाहिए। पहली बात तो ये कि मैंने मुख्यमंत्री रहते नमाज पढ़ने के लिए विधानसभा के अंदर किसी को कोई कमरा अलॉट नहीं करवाया था। लगातार सत्तापक्ष से इस बारे में भ्रामक बातें मीडिया में कही जा रही है। अगर पुराने विधानसभा भवन के अंदर नमाज पढ़ने के लिए कोई जगह थी भी तो वो मेरे आदेश से नहीं दी गई थी। विधानसभा संवैधानिक जगह है, इसमें किसी भी धर्म विशेष के लिए जगह का रिजर्वेशन नहीं है।
प्रदीप और बंधु ने किया विधानसभा समिति बनाने का समर्थन
प्रदीप यादव ने कहा कि सरफराज अहमद, जो खुद मुसलमान हैं, जब वे कह रहे हैं कि विवादित जगह पर नमाज पढ़ना नहीं चाहिए तो फिर किसी को क्या आपत्ति हो सकती है ? यही तो इस देश के संस्कृति की खुबसूरती है कि मुसलमान खुद कह रहा है कि सरकार नमाज रूम देने के फैसले पर पुनर्विचार करे। बंधु तिर्की ने भी कहा कि इस मसले पर विवाद बढ़ना नहीं चाहिए और मैं सरफराज अहमद के इस बात का समर्थन करता हूं कि इसपर विधानसभा की एक कमेटी बने, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों तरफ के लोग शामिल हों।
पहले ही दिन ये कर देते तो सदन का समय बचता- भानु प्रताप शाही
भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि यही तो हम पहले दिन से बोल रहे थे कि हमें किसी धर्म या मजहब से कोई दुश्मनी नहीं है। हम तो सवाल कर रहे थे कि आखिर किसकी सलाह से विधानसभा के अंदर एक खास धर्म के लिए जगह आरक्षित की गई। भानु प्रताप शाही ने कहा कि ये भाजपा का दबाव ही है कि आज सत्ता पक्ष के लोग विधानसभा समिति बनाने को कह रहे हैं. अगर हम विरोध नहीं करते तो सत्ता पक्ष तो अपने तुष्टीकरण की राजनीति में फैसला ले चुका था।

