नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत इन घटनाओं पर करीबी नजर बनाए हुए है और अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रख रहा है, लेकिन पाकिस्तान की “कट्टर और संकीर्ण मानसिकता” को बदल पाना भारत के हाथ में नहीं है।
प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में जयशंकर ने बताया कि फरवरी महीने में पाकिस्तान में हिंदुओं पर 10 हमले दर्ज किए गए। इनमें से सात मामले अपहरण और जबरन धर्मांतरण से जुड़े थे, दो अन्य अपहरण के थे, और एक घटना में पुलिस ने होली मना रहे छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की थी।
उन्होंने आगे बताया कि सिख समुदाय पर भी तीन हमले हुए। इनमें एक सिख परिवार पर हमला, दूसरे मामले में एक पुराने गुरुद्वारे को दोबारा खोलने पर धमकी और तीसरे मामले में एक सिख लड़की के अपहरण और धर्मांतरण की घटना शामिल है।
जयशंकर ने बताया कि दो अन्य घटनाएं अहमदिया समुदाय से जुड़ी थीं और एक मामले में मानसिक रूप से अस्थिर ईसाई व्यक्ति पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन मुद्दों को उठाता है।
बांग्लादेश में भी जारी हैं हमले
विदेश मंत्री ने बताया कि भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भी नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, “2024 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 2,400 हमले हुए, जबकि 2025 में अब तक 72 घटनाएं सामने आई हैं। मैंने इस मुद्दे को अपने समकक्ष के साथ उठाया है और विदेश सचिव ने भी बांग्लादेश यात्रा के दौरान इसे प्रमुखता से उठाया था। यह हमारी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।”
पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाने की मांग पर जवाब
जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या भारत पाकिस्तान के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह कोई “कड़ा कदम” उठाने की योजना बना रहा है, तो उन्होंने कहा कि भारत अपनी स्थिति को स्पष्ट रूप से रख रहा है, लेकिन “एक सरकार और एक देश के रूप में हम अपने कट्टरपंथी पड़ोसी की मानसिकता को नहीं बदल सकते।”
उन्होंने कहा, “यहां तक कि इंदिरा गांधी भी इसे नहीं बदल सकीं।”

