इस्लामाबाद: जिस देश ने 26/11, पुलवामा, कारगिल और न जाने कितनी निर्दोष जानें लीं, वही आज भारत के पहलगाम आतंकी हमले पर “शोक” जता रहा है।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बुधवार को एक औपचारिक बयान में कहा,
“हम अनंतनाग जिले में हमले में पर्यटकों की मौत पर दुखी हैं। हम मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
क्या इससे ज़्यादा बेशर्मी और हो सकती है?
यही पाकिस्तान है, जिसके लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी संगठन TRF (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। यही TRF, जिसने मंगलवार को पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं—जिसमें 26 लोग मारे गए, वो भी उस जगह पर जहाँ अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है।
और ऊपर से दो दिन पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर कह रहे थे कि,
“कश्मीर हमारी शिरा है और रहेगा। हम अपने कश्मीरी भाइयों के साथ हैं।”
भाइयों के नाम पर आतंक भेजना बंद करो पहले!
ये वही पाकिस्तान है जिसने 1971 में हजारों बंगालियों और हिंदुओं की हत्या की, कारगिल में कायरों की तरह घुसपैठ की, मुंबई में 26/11 जैसा नरसंहार करवाया और फिर पुलवामा में CRPF के जवानों को उड़वा दिया।
क्या पाकिस्तान ये सोचता है कि दुनिया उसकी झूठी बातें और घड़ियाली आँसू नहीं पहचानती?
जब पाकिस्तान खुद आर्थिक कंगाली की हालत में है, IMF से भीख माँग रहा है, जनता महंगाई से त्रस्त है, फिर भी ये सोचता है कि भारत जैसा महाशक्ति देश उससे डर जाएगा?
पाकिस्तान की ये “संवेदनाएँ” नहीं, साजिश की मुस्कान है।