इस्लामाबाद:
जब भी पाकिस्तान को कोई झटका लगता है, तो उसका फेवरेट प्लान है — रोना, धमकी देना, और खुद को दुनिया का सबसे बड़ा शिकार दिखाना।
अब, पहल्गाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर कार्रवाई करने की चेतावनी से, पाकिस्तान का दर्द फिर फूट पड़ा है।
पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने घोषणा कर दी —
“या तो पानी बहेगा या खून बहेगा!“
वाह भई, toddler जैसे रोने का नया लेवल unlocked!
बिलावल ने सिंधु नदी के किनारे खड़े होकर ये भी याद दिलाया कि “हम मोहनजोदड़ो के वारिस हैं”, भूल गए कि उनके खुद के देश में मोहनजोदड़ो को म्यूज़ियम से भी कम अहमियत दी जाती है। इतिहास में झाँकते-झाँकते बिलावल ये भूल गए कि आज का पाकिस्तान दुनिया में ‘आतंकी पालने’ के लिए बदनाम है, और उसकी हालत एक भीख माँगते मुल्क जैसी है।
भारत की कार्रवाई पर पाकिस्तान का toddler tantrum
भारत ने जैसे ही सिंधु जल संधि को निलंबित किया और कूटनीतिक संबंध घटाए, पाकिस्तान ने तुरंत अपना पुराना ड्रामा शुरू कर दिया:
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“हम शिमला समझौता तोड़ देंगे!” (भाई, वैसे भी निभा कौन रहा था?)
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“हम हवाई क्षेत्र बंद कर देंगे!” (वैसे भी कौन वहाँ आना चाहता है?)
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“पानी रोकना युद्ध का ऐलान होगा!” (पहले खुद पीने लायक पानी तो इकट्ठा करो।)
न्यूक्लियर धमकी का पुराना राग
अब बस एक दो दिन और, और बिलावल साहब या कोई और ‘बाजी’ ये भी कह देंगे:
“हमारे पास परमाणु बम है!“
मतलब हर बार कोई लड्डू नहीं मिलता तो धमकी दे दो जैसे कोई रोता बच्चा मॉल में चॉकलेट के लिए धमकाता है।
दुनिया देख रही है — भिखारी देश, जेहादी लवर्स, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है पाकिस्तान।
सच्चाई:
आतंकी संगठन TRF (Lashkar-e-Taiba का चहेता प्रॉक्सी) खुद इस हमले की जिम्मेदारी ले चुका है।
पर पाकिस्तान अब भी ‘हम भी आतंकवाद के शिकार हैं’ वाला पुराना कैसेट बजा रहा है।
सच तो ये है कि दुनिया भर में अब कोई भी पाकिस्तान की नौटंकी पर भरोसा नहीं करता।
क्योंकि आतंकवाद पालना और फिर खुद को पीड़ित दिखाना — ये कला सिर्फ पाकिस्तान को ही आती है।