पाकिस्तान एक बार फिर अपनी नाकामी और दोहरे चरित्र का प्रदर्शन कर रहा है। भारत द्वारा पाहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने के जवाब में, इस्लामाबाद ने गुरुवार को भारत के साथ सभी व्यापारिक संबंध तोड़ने की घोषणा कर दी। अब, पाकिस्तानी स्वास्थ्य एजेंसियां “आपातकालीन तैयारी” का बहाना बनाकर दवाइयों की आपूर्ति सुरक्षित करने की कोशिश कर रही हैं।
Geo News के मुताबिक, पाकिस्तान की ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी (DRAP) ने कोई औपचारिक आदेश तो जारी नहीं किया, लेकिन भारत से दवाओं के आयात रुकने की आशंका से “तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था” शुरू कर दी है। भारत से पाकिस्तान लगभग 30-40% फार्मास्युटिकल कच्चा माल और जीवन रक्षक दवाइयाँ मंगवाता था, जिनमें कैंसर उपचार, एंटी-रेबीज वैक्सीन और मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ शामिल हैं।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। पाकिस्तान में असली संकट सिर्फ दवाओं का नहीं, बल्कि ड्रग्स का है। वर्षों से पंजाब के रास्ते अफगानिस्तान, ईरान और दुबई से कोकीन, हेरोइन और अन्य नशीली पदार्थों की अवैध तस्करी पाकिस्तान में हो रही है। अब जब भारत के साथ कानूनी व्यापार बंद हुआ है, तो ये ड्रग माफिया, जो ज्यादातर अनपढ़ और आपराधिक गिरोहों से जुड़े हैं, इस अवसर का फायदा उठाकर नशीली दवाओं का कारोबार बढ़ाने की फिराक में हैं।
पाकिस्तानी अधिकारियों ने खुद स्वीकार किया है कि भारत से आने वाली कानूनी दवाओं की आपूर्ति बाधित होने से ‘ब्लैक मार्केट’ में नकली और असुरक्षित दवाइयाँ भर सकती हैं। हकीकत में, यह ब्लैक मार्केट पाकिस्तान में पहले से ही कोकीन और हेरोइन के सौदों से भरी हुई है।
पाकिस्तान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (PPMA) के अध्यक्ष तौकीर-उल-हक ने सरकार से दवा उद्योग को व्यापार प्रतिबंध से छूट देने की गुहार लगाई है। लेकिन सवाल उठता है कि जब पाकिस्तान के भीतर नशे के सौदागर खुलेआम सक्रिय हैं, तो क्या ‘दवाओं’ के नाम पर फिर वही कोकीन और हेरोइन की खेप भारत-पाक बॉर्डर से घुसने की कोशिश नहीं होगी?
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को अब अपनी कड़वी हकीकत का सामना करना चाहिए। दवाओं के नाम पर ड्रग्स की तस्करी ने देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों को ध्वस्त कर दिया है। पाकिस्तान को यदि वाकई सुधार चाहिए, तो उसे सबसे पहले अपने नशे के व्यापार और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली नीतियों को खत्म करना होगा।